
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित आदिवासी महोत्सव में कुछ नई और अनोखे चीजें भी देखने को मिलीं। यहां पर पहल सेवा संस्था के लोगों ने अपने स्टॉल में गोबर से बनाई हुई चप्पल रखी। बस्तर से आए कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम ने पर्यावरण संरक्षण के लिए तैयार की गई बांस की साइकिल लोगों को दिखाई। दोनों ही यूनीक प्रोडक्ट्स के अपने-अपने फायदे भी हैं।
गाय के गोबर को प्रोसेस करके एक चप्पल बनाई गई है। जल्द ही ये बाजार में भी उपलब्ध होगी। इसे तैयार करने वाले रितेश अग्रवाल ने बताया कि केंद्रीय कामधेनू आयोग की रिसर्च के बाद आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने गोबर को रेडिएशन फ्री बताया था। खासकर हमारे मोबाइल फोन से निकलने वाली हानिकारक तरंगों का शरीर पर गहरा असर होता है।
हमने गोबर से चप्पल बनाई है। ये लोगों के पास रहेगी तो शरीर पर रेडिएशन का असर कम होगा। बीपी और शुगर में भी मरीजों को इसका फायदा मिल सकता है। इस पर हम प्रदेश के कुछ एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर ट्रायल कर रहे हैं। गोबर से बनी ये चप्पलें 400 रुपए में बाजार में जल्द ही मिलेंगी।












