दो साल में बाघ-बाघिन समेत कई जानवरों की गई जान:न खान-पान की जांच, न ही विशेषज्ञ; मौत के बाद हर बार बीमारी का बहाना

कानन पेंडारी जूलॉजीकल पार्क में मंगलवार को फिर से एक बाघिन ‘रश्मि’ की मौत हो गई। प्रबंधन ने उसके बीमार होने और किडनी फेल होना मौत की वजह बताया बताया है। लेकिन, जू में लगातार किसी न किसी बीमारी के बहाने वन्य प्राणियों की मौतें हो रही है। आलम ये है कि पिछले दो साल के भीतर यहां बाघ-बाघिन, शावक, दरियाई घोड़ा, भालू सहित 11 जानवरों की मौत हुई है।

लगतार हो रही मौते पर हर बार जांच कराई जाती है और बीमारी होने का बहाना बना दिया जाता है। यहां वन्य प्राणियों की सुरक्षा सिर्फ जू कीपर के भरोसे है। न तो उनके खान पान की जांच की जाती है। और न ही वन्य प्राणी विशेषज्ञ हैं, जो उनकी गतिविधियों पर ध्यान दें।

कानन जू में लगातार हो रही है वन्य प्राणियों की मौत।

कानन पेंडारी जू में बाघिन रंभा ने बीते साल 17 अप्रैल को चार शावकों को जन्म दिया था। जिनमें एक नर और तीन मादा शावक थे। बाघ का कुनबा बढ़ने की उम्मीद जताई गई थी। जू प्रबंधन ने चार से पांच माह तक उनकी देखभाल की और उन्हें केज में रखा गया। जब शावक छह माह के हुए तब प्रबंधन ने उन्हें पर्यटकों के लिए केज पर छोड़ा था। लेकिन, बाघ के शावक मितान की अचानक तबीयत बिगड़ गई और बीते फरवरी माह में उसकी मौत हो गई।

एक साल पहले चार शावकों का हुआ था जन्म। (फाइल फोटो)

मितान के बाद अब बहन रश्मि की मौत
कानन पेंडारी जू की बाघिन रश्मि की तबीयत पिछले एक सप्ताह से खराब चल रही थी। चार दिन पहले जब उसकी हालत गंभीर हो गई और उसका यूरिन आना बंद हुआ तब प्रबंधन ने विभाग के अफसरों को इसकी जानकारी दी। साथ ही जू अथार्टी आफ इंडिया को भी सूचना दी गई। बताया गया कि बीमार बाघिन की किडनी फेल हो गई है। पिछले चार दिन से वन्य प्राणी चिकित्सक उसका इलाज कर रहे थे। लेकिन, उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई थी। पानी भरने से पेट फूल गया था वहीं यूरिन भी नहीं हो रहा था। इस दौरान बाघिन के इलाज के लिए दूसरे जू के चिकित्सकों से भी सुझाव लिया जा रहा था। आखिरकार, मंगलवार दोपहर बाघिन रश्मि की मौत हो गई।

मंगलवार की देर शाम कानन प्रबंधन की मौजूदगी में बाघिन की हुई अंत्येष्टि।

जनवरी 2022 में शुरू हुआ वन्य प्राणियों की मौत का सिलसिला
साल 2022 में जनवरी का महीना बीतने के बाद कानन जू में हर महीने वन्य प्राणियों की मौत हो रही थी। बाघिन रजनी और चेरी के बाद लायनेस मौसमी की अप्रैल में मौत हो गई थी। इस ढाई महीने में कानन जू में 9 वन्यप्राणियों की मौत से वन प्रबंधन सकते में आ गया था। 12 फरवरी 2022 को सुबह 4 साल की मादा हिप्पोपोटामस की मौत हुई थी। दूसरी तरफ 266 दिन तक इलाज के बाद मादा बाघिन रजनी ने 3 मार्च 2022 को दम तोड़ दिया था। 18 अप्रैल 2022 की शाम को लायनेस मौसमी की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई थी।

शेरनी मौसमी की डिलीवरी नहीं करा पाया प्रबंधन, गर्भ में दो बच्चों के साथ तोड़ा दम
करीब एक साल पहले ही कानन में बाघिन रंभा के साथ 4 वर्ष की एक शेरनी मौसमी भी गर्भ से थी। प्रबंधन ने एक साथ दोनों बाघिन और शेरनी के प्रसव के बाद शावकों के जन्म कराने की योजना बनाई थी। बाघिन रंभा का सफलतापूर्वक प्रसव हो गया। फिर शेरनी मौसमी को प्रसव पीड़ा हुई। पशु चिकित्सक उसकी डिलीवरी कराने के प्रयास में जुटे थे, पर उसका पहला शावक उल्टा हो गया। इसके चलते शावक पूछ की तरफ से बाहर आने पर उसका गला अटक गया और असहनीय दर्द से मौसमी की मौत हो गई। आनन-फानन में शेरनी का सीजिरियन डिलीवरी कराने का प्रयास किया गया। ऑपरेशन के बाद देखा गया कि उसके दो शावक गर्भ में थे, जिनकी मौत हो चुकी थी।