किसान आंदोलन दिल्ली के दरवाजे पर पहुंच चुका है, लेकिन इस आंदोलन के यहां तक पहुंचने का रास्ता भी दिलचस्प रहा है। किसान पूरी तैयारी में थे, लोगों ने भी मदद की और आंदोलन का कारवां बढ़ता गया। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकैडिंग कर रखी थी। कहीं संत निरंकारी के आश्रम से किसानों के लिए राह निकली, तो कहीं किसानों ने ट्रैक्टर की मदद से खुद ही बैरिकेड हटा दिए।
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से करीब 40 किलोमीटर दूर समालखा में संत निरंकारी आश्रम है। किसानों का आंदोलन जब समालखा पहुंचा तो जगह-जगह रोड बंद दिखी। इस पर आश्रम के लोगों ने अपने खेतों से किसानों को रास्ता दिया। यहां आश्रम की सैकड़ों एकड़ जमीन पर खेत हैं, जिसे किसानों के लिए खोल दिया गया।
खेतों के रास्ते किसान दिल्ली की तरफ बढ़े
पानीपत में शिवा गांव के पास मेन हाईवे पर कई किलोमीटर तक पुलिस ने ट्रकों का बैरिकेड लगाकर रास्ता रोक दिया, लेकिन किसान खेतों से होते हुए कई किलोमीटर लंबे बैरिकेड को पार कर दिल्ली की तरफ आगे बढ़ गए। हालांकि, पानीपत के सेक्टर-29 के थाने के पास पुलिस ने जेसीबी मशीन बुला ली और सड़कों को खोद दिया। हालांकि, किसान यहां ट्रैक्टर पर सवार हो गए। पानी की तेज बौछारों के बीच से वे ट्रैक्टर में बैठकर आगे बढ़ गए।
ट्रैक्टर पर स्टंट दिखाने वालों ने ट्रक ही हटा दिया
सिंघु बॉर्डर से आगे जब आंदोलन बढ़ा तो दिल्ली से करीब 15 किलोमीटर दूर टिकरी बॉर्डर पर पुलिस ने ट्रक खड़े कर रास्ता रोक रखा था। भारी बैरिकेड तोड़ने के लिए किसानों के साथ एक्सपर्ट भी मौजूद थे। ये वे लोग थे, जो ट्रैक्टर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं और ट्रैक्टर पर कई स्टंट दिखाते हैं। भारी से भारी बैरिकेड को ट्रैक्टर से बांधकर किनारे करने में माहिर इन युवाओं के कारण ही किसान हर बैरिकेड को पार करते हुए दिल्ली की तरफ बढ़ गए।
6 महीने का राशन लेकर साथ चल रहे किसान
किसी को चिंता है कि नए कृषि बिल आने से जब निजी कंपनियां आ जाएंगी तो वक्त-बे-वक्त आढ़तियों से मिलने वाले एडवांस बंद हो जाएंगे। दिल्ली में आंदोलन की उनकी प्लानिंग बड़ी है, इसलिए गैस सिलेंडर, चूल्हा और डिस्पोजल भी ट्रॉली में भरे हैं। किसान तो 6 महीने का राशन साथ लेकर चलने का दावा कर रहे हैं।