knn24news/ बालको की कार्यशैली हमेशा सुर्खियों में रही है। चाहे कर्मचारियों की सुविधाओं की बात हो, या फिर स्थानीय लोगों की उपेक्षा। क्षेत्र के हर काम में बालको की नाकामी नजर आ रही है। बडे बड़े अक्षरों में लिखा गया हैं बालको देश की शान है। लेकिन सच्चाई से ये वाक्य नहीं मिलता। पूरे जिले में लाॅकडाउन लगा दिया गया है। लोग कोरोना से त्राहि त्राहि कर रहे है। आॅक्सीजन की कमी, अस्पतालों में बेड़ नहीं मिलने से लोगों के सामने विकट समस्या खड़ी हो रही है। इन सब के बावजूद लाॅकडाउन में संयंत्रों को कुछ छूट मिली है। कोरबा में औद्योगिक संयंत्रों की भरमार है। ऐसे में आदेश के तहत इन प्लांटो को चालू रखने के लायक की कोयले की आपूर्ति करना है। लेकिन बालको प्रबंधन द्वारा शासन प्रशासन की आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जब केएनएन न्यूज टीम मौके पर जाकर देखा तो पाया कि बालको संयंत्र में लगे वाहन पूरी क्षमता के साथ परिवहन कार्य में लगे है। सिर्फ यहीं नहीं वाहन चालको द्वारा भी यातायात नियमों की अवहेलना की जा रही है। पूरे सड़क पर केवल धूल के गुबार ही नजर आ रहे है। अगर इन सब के कारण किसी स्थानीय निवासी की मृत्यु होती हैं या कोई दुघर्टना का शिकार होता है, तो उसका जबावदेह कौन होगा। वैसे भी बालको नदी में गंदा पानी छोड़कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर ही रहा है साथ ही राख की समस्या से भी हम लगातार प्रशासन को अवगत करा ही रहे है, लेकिन कार्रवाई क्यो नहीं की जा रही ये समझ से परे है।

 
			





