कोरबा (छत्तीसगढ़):- एसईसीएल गेवरा परियोजना से प्रभावित ग्राम नराईबोध के समस्त ग्रामवासियों ने अपने रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा प्रकरणों में हो रहे बाहरी हस्तक्षेप को लेकर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है ग्रामीणों ने एकजुट होकर जिला कलेक्टर, कोरबा को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने कुछ बाहरी व्यक्तियों पर उनके आंदोलन को निजी स्वार्थ के लिए हाईजैक करने का आरोप लगाया है ।
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ग्रामवासियों ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि उनकी भूमि एसईसीएल गेवरा परियोजना द्वारा अधिग्रहित की गई है और वे अपने हक की लड़ाई (उचित मुआवजा, रोजगार, पुनर्वास और अन्य मूलभूत सुविधाएं) के लिए एकजुट हैं ग्रामीणों ने दृढ़ता से कहा है कि वे अपनी मांगों को एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन के समक्ष रखने और किसी भी प्रकार की वार्ता करने के लिए स्वयं पूर्णतः समर्थ और सक्षम हैं ।
ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और कम्युनिस्ट पार्टी के तथाकथित नेताओं प्रशांत झा और दीपक साहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं ग्रामीणों के अनुसार, ये दोनों व्यक्ति ग्राम नराईबोध के निवासी नहीं हैं, फिर भी वे जबरदस्ती गांव के मामलों में दखलअंदाजी कर रहे हैं इसके अतिरिक्त, गांव के ही एक व्यक्ति रमेश दास पर इन बाहरी व्यक्तियों को लाकर गांव में अशांति का माहौल पैदा करने और नेतृत्वकारी व्यक्तियों पर गलत बयानबाजी करने का आरोप लगाया गया है ।
निजी स्वार्थ और ब्लैकमेलिंग का आरोप
ग्रामवासियों ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट आरोप लगाया है कि, प्रशांत झा, दीपक साहू और रमेश दास का हमारे हितों से कोई सरोकार नहीं है वे केवल अपने निजी स्वार्थ, ब्लैकमेलिंग और ठेकेदारी हासिल करने के कुत्सित उद्देश्य से ग्रामवासियों के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं ।
ग्रामीणों का कहना है कि इस बाहरी हस्तक्षेप के कारण उनकी वास्तविक मांगों पर प्रशासन और प्रबंधन के साथ होने वाली वार्ता बाधित हो रही है और अनावश्यक भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है ।
प्रशासन से तत्काल प्रतिबंध की मांग
समस्त ग्रामवासियों ने कलेक्टर महोदय से विनम्र निवेदन किया है कि इस संवेदनशील मामले को संज्ञान में लेते हुए, प्रशांत झा, दीपक साहू और रमेश दास को ग्राम नराईबोध के किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने, प्रतिनिधित्व करने या ग्रामीणों के नाम पर किसी भी गतिविधि को संचालित करने से तत्काल प्रतिबंधित किया जाए इस आशय पर कलेक्टर सहित पुलिस अधीक्षक , थाना प्रभारी , एसईसीएल प्रबंधन सहित अन्य विभागों को भी पत्र प्रेषित किया गया है ।
ग्रामीणों ने कहा कि इस प्रतिबंध के बाद ही वे सीधे तौर पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रशासन और प्रबंधन के साथ अपनी समस्याओं का निराकरण कर सकेंगे ।











