कोरबा: रोजगार गारंटी के कामो में जमकर मनरेगा कर्मियों की मनमानी चल रही है। ग्रामीण अंचलो में जल सवर्धन के लिए खोदे जा रहे डबरी में अधिकांश स्थानों पर पानी भरता ही नहीं या यूँ कहे इस डबरी का कोई औचित्य ही नहीं है। इसके बाद भी मनमाफिक लगातार डबरी खोदकर शासन के राशि की बंदरबांट करने मनरेगा कर्मी जुटे है।
वनांचल क्षेत्रों से लगे गांवों रोजगार गारंटी के काम स्वीकृत कराने के नाम पर वन भूमि की हरियाली को नुकसान पहुंचा जा रहा है, इसका उदाहरण गिरारी, पसरखेत सहित आसपास के गांवों में देखा जा सकता है। मनरेगा में जल संरक्षण के लिए डबरी निर्माण स्वीकृत कराने का प्रावधान है। पंचायत में सचिव और रोजगार सहायक की उपस्थिति में कार्य का अनुमोदन किया जाता है। कार्य स्वीकृति में इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य होता है निर्माण से पर्यावरण संरक्षण निमय का उल्लंघन न हो। नियम से परे डबरी निर्माण का नतीजा अब सामने आ रहा हैं। पसरखेत से और गिरारी मुख्य मार्ग किनारे जल संरक्षण के लिए डबरी का निर्माण किया गया है। जिस उद्देश्य के लिए डबरी का निर्माण किया गया है वह व्यर्थ साबित हो रहा है। बारिश समाप्त होने के बाद वह पूरी तरह से सूख चुका है। डबरी परिसर में आने वाले पेडों के जड़ से लगी मिट्टी को छोड आसपास में खुदाई कर दी गई। पेड़ों आधार कमजोर गया है। आने वाले गर्मी मौसम में इन पेड़ों का सूखना तय है। यह केवल एक ही जगह की बात नहीं, वन क्षेत्रों का सर्वे किया जाए तो कई स्थानों में इस तरह की डबरी देखी जा सकती है। डबरी को ऐसे जगह में बनाया गया है, जहां भराव होने पर भी उसका लाभ सिंचाई के लिए नहीं मिल सकता। निर्माण के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है।