बाघ शावक की मौत का वन विभाग के अफसरों का जरा भी अफसोस नहीं हैं। जिन बाघों को बचाने की जवाबदारी उन्हें दी गई है उनकी सुरक्षा के प्रति घोर लापरवाही बरती गई है। एक बाघिन अपने शावक के साथ पिछले एक महीने से टिंगीपुर, सिहावल सागर और उसके आसपास के इलाकों में घूम रही थी और अफसरों को इसकी जानकारी ही नहीं थी। एटीआर के पैदल गार्ड और अन्य स्टाफ ने कई बाद उनकी दहाड़ भी सुनी। उसके बाद भी मॉनिटरिंग कमजोर रही। अफसरों को भी इसकी जानकारी थी लेकिन उन्होंने भी सुरक्षा को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई।
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि यह शावक वही है जो अपनी मादा बाघिन के साथ क्षेत्र में भ्रमण कर रहा था। पोस्टमार्टम में बड़े नर बाघ द्वारा उसे मारे जाने की पुष्टि की गई है, लेकिन आसपास के इलाकों में वैसा पगमार्क अब तक नहीं मिला है। जैसा पगमार्क घटना स्थल पर मिला है। उसकी तलाश अभी भी जारी है। वन विभाग के अफसर और पशु चिकित्सकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही है कि बाघ शावक की मौत बड़े नर बाघ के हमले से हुई है। यह रिपोर्ट बड़े नर बाघ की उस क्षेत्र में मौजूदगी को स्पष्ट कर रहा है लेकिन अक्टूबर माह में हुई गणना के दौरान लिए गए पगमार्क वैसा पगमार्क ट्रेस ही नहीं हो रहा है जैसा पगमार्क घटना स्थल पर मिला है। इससे अनेक तरह की आशंकाएं जन्म ले रही हैं।












