ट्रैवलर- एस्ट्रोनॉट 004, रोल- रिसर्चर एक्सपीरिएंस, डेट- 11 जुलाई 2021, टाइम- शाम 6.25 बजे। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के चिराला में जन्मीं सिरिशा बांदला न्यू मैक्सिको के स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष की उड़ान भरने जा रही हैं। सब कुछ ठीक रहा तो वो अंतरिक्ष जाने वाली भारत में जन्मीं दूसरी महिला बन जाएंगी। इससे पहले हरियाणा में जन्म लेने वाली कल्पना चावला ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी।
वर्जिन गैलेक्टिक के स्पेस प्लेन VSS Unity में सवार सिरिशा जब ध्वनि से भी तीन गुना तेज रफ्तार से अंतरिक्ष की तरफ जाएंगी, तो जाहिर है उनकी आंखों के सामने जिंदगी के 34 सालों की झलकियां जरूर होंगी। हम यहां सिरिशा की जिंदगी की वही झलकियां पेश करने जा रहे हैं।
महज 4 साल की उम्र में आंध्र प्रदेश से अमेरिका का सफर, अंतरिक्ष जाने का सपना देखना, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना, आंख में कुछ कमी की वजह से NASA न जा पाना, स्ट्रीम बदलकर स्पेस पॉलिसी चुनना, वर्जिन गैलेक्टिक में इंटर्न से वाइस प्रेसिडेंट तक का सफर और अब अंतरिक्ष की उड़ान। आइए, शुरू से शुरू करते हैं…
4 साल की उम्र में बिना पेरेंट्स के गईं अमेरिका
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के चिराला में 1987 में सिरिशा का जन्म हुआ। उनके पिता बी मुरलीधर और मां अनुराधा अमेरिका में जॉब करते थे। वो सिरिशा को दादा-दादी के पास छोड़कर अमेरिका चले गए। जब सिरिशा महज 4 साल की थीं, तो उन्होंने बिना पेरेंट्स के भारत से अमेरिका की उड़ान भरी थी।
सिरिशा के दादा डॉ. रगैया बांदला एक इंटरव्यू में बताते हैं, ‘उसके साथ एक हमारे जानने वाले थे, जो सिरिशा के लिए बिल्कुल अजनबी थे। इतनी छोटी उम्र में भी वो अकेले फ्लाइट से जाने के लिए उत्साहित थी।’
अमेरिका के ह्यूस्टन में नासा का जॉनसन स्पेस सेंटर है। बचपन से ही सिरिशा अंतरिक्ष से जुड़े लोगों को अपने आस-पास देखती थी। सिरिशा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, ‘मैंने देखना शुरू किया कि कैसे लोग अंतरिक्ष यात्री बनते हैं। उसके बाद मैंने इसी फील्ड में अपना करियर बनाने का फैसला किया।’
एक प्रोफेसर की सलाह पर स्पेस पॉलिसी को चुना
सिरिशा ने एयरोस्पेस और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में 2011 में ग्रेजुएशन किया है। सिरिशा NASA जाना चाहती थीं, लेकिन आंख में कुछ कमी की वजह से ऐसा नहीं हो सका। फिर उनके एक प्रोफेसर ने उन्हें स्पेस पॉलिसी चुनने की सलाह दी। इसमें अंतरिक्ष से जुड़ी सरकारी नीतियों का अध्ययन किया जाता है। सिरिसा ने जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से 2015 में MBA की पढ़ाई की।
सिरिशा के दादा डॉ. रगैया बांदला एक इंटरव्यू में बताते हैं, ‘उसके साथ एक हमारे जानने वाले थे, जो सिरिशा के लिए बिल्कुल अजनबी थे। इतनी छोटी उम्र में भी वो अकेले फ्लाइट से जाने के लिए उत्साहित थी।’
अमेरिका के ह्यूस्टन में नासा का जॉनसन स्पेस सेंटर है। बचपन से ही सिरिशा अंतरिक्ष से जुड़े लोगों को अपने आस-पास देखती थी। सिरिशा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, ‘मैंने देखना शुरू किया कि कैसे लोग अंतरिक्ष यात्री बनते हैं। उसके बाद मैंने इसी फील्ड में अपना करियर बनाने का फैसला किया।’
एक प्रोफेसर की सलाह पर स्पेस पॉलिसी को चुना
सिरिशा ने एयरोस्पेस और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में 2011 में ग्रेजुएशन किया है। सिरिशा NASA जाना चाहती थीं, लेकिन आंख में कुछ कमी की वजह से ऐसा नहीं हो सका। फिर उनके एक प्रोफेसर ने उन्हें स्पेस पॉलिसी चुनने की सलाह दी। इसमें अंतरिक्ष से जुड़ी सरकारी नीतियों का अध्ययन किया जाता है। सिरिसा ने जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से 2015 में MBA की पढ़ाई की।
