शाहजद ने कहा ये कार्य तब क्यों नहीं किया जब कोरोना अपने चरम पर थी। अगर उन्होंने कोरोना महामारी के वक्त जब लोग पैसे के अभाव में मौत के मुंह में चले जा रहे थे तब उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया।
बालको प्रबंधन के द्वारा कोविड सेंटर तो खोली गई परंतु प्रत्येक व्यक्ति से प्रतिदिन ₹110000 की डिमांड भी की गई और वसूली भी गए और जिन्होंने ते पाने में असमर्थता बताई उन्हें हॉस्पिटल से बाहर भी किया गया एवं उनकी मौतें भी हुई। परंतु फिर भी उसे हमारे बालकों के स्थानीय लोगों ने सहा और बर्दाश्त किया।
मैं बालको प्रबंधन से यह पूछना चाहता हूं कि अनिल अग्रवाल जी के इस नेक कार्य के से बालको प्रबंधन क्या उनसे कुछ सीख नहीं लेती क्या वे इसी प्रकार से स्थानीय लोगों को प्रताड़ित करते रहेंगे जिस प्रकार से अभी कर रहे हैं एवं जिले को उसी प्रकार से दूषित करते रहेंगे जैसे अब तक करते आए हैं एवं अपने द्वारा चलाई जा रही हैवी गाड़ियों से सड़कों का सर्वनाश करते रहेंगे ताकि स्थानीय लोग प्रतिदिन मौत के मुंह में जाते रहे।
मैं बालको प्रबंधन से यह भी सवाल करना चाहता हूं कि क्या वे स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने में कोई पहल करना चाहते हैं या सिर्फ बाहरी लोगों के हित में सोचने हेतु उन्होंने संयंत्र लगा रखा है।
बालकों प्रबंधन हम समस्त स्थानीय लोगों इस चीज की भी जानकारी दें कि क्या उनके चेयरमैन ने जो घोषणा की है उसका कुछ अंश भी हमारे क्षेत्र के लिए इस्तेमाल किया जाएगा या फिर सिर्फ वाह पेपर पर दिखाकर अन्य जगहों पर ले जाया जाएगा।
बालको प्रबंधन हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागती हुई नजर आती है । बालको प्रबंधन अपने जिम्मेदारियों को समझें एवं निष्ठा पूर्वक निभाए अन्यथा अन्य प्रदेशों की तरह ही स्थानीय लोगों के आक्रोश से बहुत जल्द उन्हें गुजरना होगा।