आखिर कब तक चलेगी बालकों की मनमानी, बालको हॉस्पिटल का हाल बेहाल! देखे

कोरबा: जहां एक तरफ कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है वहीं कोई कंपनी अपने कर्मचारियों का जिम्मा उठाने के नाम पर वाहवाही लूटे तो इसे ढकोसला ही कहा जाएगा।
बालको में प्रतिदिन लगभग 50 कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो रहे है, वही कई कर्मचारियो कि तो कोरोना से मृत्यु भी हो चुकी है, हालांकि बालको प्रबंधन के द्वारा 60 बेड का एक कोविड अस्पताल भी दिया गया लेकिन उसमें भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है। बालको अपने कर्मचारिओ के प्रति कितना संवेदनशील है आप इसका सजह ही अंदाजा लगा सकते है।

बालको हॉस्पिटल
बालको हॉस्पिटल
बालको हॉस्पिटल

बालको टाउनशिप में कोरोना भयावह रुप ले चुका है। लेकिन कोई कंटेन्मेंट जोन नही बनाया गया है। इतना ही नहीं बालको कर्मचारी ड्यूटी में कोरोना संक्रमित हो रहे है। कर्मचारियों द्वारा भी निशुल्क वैक्सीनेशन की मांग की गई बावजूद अभी तक कोई प्रबंध नहीं किया गया!

केदारनाथ अग्रवाल

समाजसेवी केदारनाथ अग्रवाल ने सवाल किया कि बालको स्मेल्टर विस्तार में बालको का समर्थन करने वाले नेतागण, बालको प्रबन्धक के सुभचिंतकगण वाह शासन-प्रशासन से कोरबा के कोरोना के इस आपदा में बालको प्रबंधक ने बालको के प्रदूषण से प्रभावित मोहल्लों के लिए क्या किया ? अपने कर्मचारियों को निशुल्क वैक्सीनेशन क्यों नहीं करवा रहा ड्यूटी करने के दौरान कोरोना संक्रमित होकर मरने वालों के परिवार को कितना मुआवजा दिया? ठेका मजदूर को बालको हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा क्यों नही है? बालको प्रबंधन के रिटायर्ड कर्मचारियों को मेडिकल सुविधा क्यों नही दी जा रही है? जबकि उन कर्मचारियों का लाखो रुपये बालको प्रबंधन के पास जमा है। क्या बालको प्रबंधन कानून के ऊपर भी हावी है क्या इसके लिए शासन प्रशासन भी नहीं ध्यान दे रहा इससे पहले भी कई जनप्रतिनिधियों ने यही जानना चाहा कि आखिर बालको के ऊपर किसका हाथ है जो हमेशा अपनी मनमानी करते रहता है!

बाहरहाल देखना होगा कि जनप्रतिनिधि व समाजसेवियों द्वारा कई बार बालकों से जानना चाहा कि आखिर इतनी मनमानी क्यों हो रही है!