मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को ताड़मेटला न्यायिक जांच आयोग की रिपाेर्ट विधानसभा में पेश कर दी। इस रिपोर्ट में आयोग ने यह तो बताया है कि सुकमा जिले के ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुरम गांवों में आदिवासियों के 250 घरों को जला दिया गया था। घरों को किसने जलाया, यह 11 साल की जांच के बाद भी न्यायमूर्ति टीपी शर्मा का आयोग नहीं बता पाया। अब उन्होंने स्थिति स्पष्ट करने की बात सीबीआई जांच के नतीजों पर डाल दिया है।
विधानसभा में पेश आयोग की रिपाेर्ट बताती है, 11 मार्च 2011 को मोरपल्ली गांव में पुलिस, सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के साथ नक्सली भी मौजूद थे। वहां पुलिस की नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई। मोरपल्ली गांव में 31 मकानों का जलना बताया गया, जिसकी वजह से ग्रामीणों को नुकसान हुआ। मकान पुलिस ने जलाए या नक्सलियों ने यह तथ्यात्मक रूप से प्रमाणित नहीं हुआ। इस सीरीज के दूसरे गांव तिम्मापुरम में 13 मार्च 2011 को पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। यह मुठभेड़ इतनी तीव्र थी कि पुलिस बल के पास गोला-बारूद खत्म हो गएहेलिकाप्टर से कोबरा बटालियन और सीआरपीएफ को वहां उतारा गया। इस मुठभेड़ में तीन पुलिस कर्मी शहीद हुए और एक अज्ञात नक्सली मारा गया। 8 पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए। आयोग ने इन घायलों का बयान भी रिपोर्ट में शामिल किया है। तिम्मापुरम गांव में 59 मकानों में आग लगी। जिनमें से एक किनारे के चार-पांच मकान पुलिस के ग्रेनेड दागे जाने से जले थे। इन मकानों से पुलिस पर गोलीबारी हो रही थी। शेष मकान किसने जलाए यह पता नहीं। 16 मार्च को ताड़मेटला गांव में पुलिस, सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन की संयुक्त टीम के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई। यहां पर 160 मकान जलाए गए। ये मकान पुलिस ने जलाए या नक्सलियाें ने यह प्रमाणित नहीं पाया जाता। आयोग का कहना है कि इस मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। उनकी जांच के बाद अभियोगपत्र में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी












