
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। 82 साल के मुलायम यूरिन इन्फेक्शन के चलते 26 सितंबर से मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल पर मुलायम के निधन की जानकारी दी। मुलायम की पार्थिव देह सैफई ले जाई जाएगी। मंगलवार को दोपहर 3 बजे उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। यूपी में 3 दिन का राजकीय शोक रहेगा।
मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे – श्री अखिलेश यादव
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 10, 2022
मुलायम को 2 अक्टूबर को ऑक्सीजन लेवल कम होने के बाद ICU में शिफ्ट किया गया था। उन्हें यूरिन में इन्फेक्शन के साथ ही ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ गई थी। बाद में उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था।
मुलायम सिंह यादव के निधन से जुड़े बड़े अपडेट्स…
- रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मेदांता जाएंगे और मंगलवार को सैफई में उनके अंतिम संस्कार में भी मौजूद रहेंगे।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुलायम सिंह को धरती पुत्र बताया और कहा कि उनकी उपलब्धियां असाधारण थीं।
- राजद चीफ लालू यादव ने कहा कि मुलायम सिंहजी से घरेलू रिश्ते थे। उनके निधन की खबर बेहद दुखद है।

मोदी ने कहा- उनके विचार जानने को हमेशा तत्पर रहता था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ अपनी कई तस्वीरें पोस्ट कीं। लिखा- जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मेरी कई बार मुलायम सिंह यादव जी से बातचीत हुई। हमारा करीबी जुड़ाव चलता रहा और मैं हमेशा ही उनके विचार जानने के लिए तत्पर रहता था। मुलायमजी के निधन से मुझे दुख है। उनके परिवार और लाखों समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाए हैं। ओम शांति..
गुजरात की जनसभा में PM मोदी ने सबसे पहले मुलायम को याद किया
नरेंद्र मोदी सोमवार को गुजरात के भरुच में जनसभा कर रहे थे। यहां भी उन्होंने सबसे पहले मुलायम सिंह यादव को याद किया। कहा- मुलायमजी का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। मेरा मुलायमजी के साथ नाता विशेष प्रकार का रहा। हम दोनों मुख्यमंत्री के तौर पर मिला करते थे, वे भी और मैं भी दोनों के प्रति एक अपनत्व का भाव अनुभव करते थे। 2014 में जब भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद के लिए चुना तो मैंने विपक्ष में अपने परिचित लोगों को फोन करके आशीर्वाद लिया था। उस दिन मुलायमजी का वह आशीर्वाद, सलाह के दो शब्द आज भी मेरी अमानत हैं।





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मुलायम पिछले दो साल से बीमार चल रहे थे
मुलायम सिंह यादव दो साल से बीमार चल रहे थे। परेशानी अधिक बढ़ने पर उन्हें अक्सर हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता रहा। पिछले साल उन्हें कोरोना भी हुआ था।
- 26 सितंबर 2022 को आखिरी बार चेकअप के लिए मुलायम सिंह यादव मेदांता गुरुग्राम पहुंचे थे। तब से वे आखिर तक वहीं भर्ती थे।
- 5 सितंबर 2022 को भी मुलायम सिंह को मेदांता में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था।
- 13 अगस्त 2022 को भी मुलायम सिंह यादव को मेदांता में भर्ती कराया गया था।
- 24 जून 2022 को रूटीन चेकअप के लिए मुलायम सिंह यादव मेदांता गए थे। तबीयत खराब होने पर उन्हें 2 दिन के लिए भर्ती किया गया था।
- 15 जून 2022 को भी मुलायम मेदांता में भर्ती हुए थे। जांच के बाद उन्हें उसी दिन डिस्चार्ज कर दिया गया था।
- 1 जुलाई 2021 को मुलायम सिंह यादव की तबीयत बिगड़ी थी, तब उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
- अक्टूबर 2020 में मुलायम कोरोना पॉजिटिव भी हो गए थे, हालांकि उन्होंने वैक्सीन लगवाई थी।
- अगस्त 2020 में पेट दर्द के चलते मेदांता में भर्ती कराए गए थे। जांच में यूरिन इन्फेक्शन का पता चला था।
तीन बार UP के मुख्यमंत्री और सात बार सांसद रहे
जवानी के दिनों में पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह ने 55 साल तक राजनीति की। मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। जबकि उनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था। 5 दिसंबर 1989 को मुलायम पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाद में वे दो बार और प्रदेश के CM रहे। उन्होंने केंद्र में देवगौड़ा और गुजराल सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह सात बार लोकसभा सांसद और नौ बार विधायक चुने गए।
1992 में सपा बनाई, फिर सियासत के महारथी बन गए
मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी बनाने की घोषणा की थी। मुलायम सपा के अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आजम खान पार्टी के महामंत्री बने। मोहन सिंह को प्रवक्ता नियुक्त किया गया। इस ऐलान के एक महीने बाद यानी 4 और 5 नवंबर को बेगम हजरत महल पार्क में उन्होंने पार्टी का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया। इसके बाद नेताजी की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्थायी मुकाम बना लिया।

यूं ही अलग नहीं कहलाते थे मुलायम: परीक्षा छोड़ कुश्ती लड़ते थे, दरोगा को मंच पर पटक दिया था
राजनीति में एंट्री करने से पहले मुलायम कुश्ती लड़ते थे। एग्जाम छोड़कर कुश्ती लड़ने चले जाते थे। 1960 में जब मुलायम कॉलेज में पढ़ते थे, तब कवि सम्मेलन के मंच पर दरोगा को एक युवा ने चित कर दिया।
22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। मुलायम कुछ दिन तक मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर मुलायम सिंह की दो शादियां हुईं। पहली पत्नी मालती देवी का निधन मई 2003 में हो गया था। अखिलेश यादव मुलायम की पहली पत्नी के ही बेटे हैं।
मुलायम सिंह यादव ने जीवन में कई तरह की मुश्किलें देखीं। वह कई दलों में शामिल रहे और बड़े नेताओं की शागिर्दी भी की। इसके बाद उन्होंने अपना दल बनाया और एक दो बार नहीं बल्कि यूपी में तीन बार सत्ता संभाली। यूपी की राजनीति जिस धर्म और जाति की प्रयोगशाला से होकर गुजरी उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम सिंह भी रहे।












