कोरबा / ग्रामीण राखड़ युक्त पानी व भोजन करने को मजबूर, कटघोरा शहर तक पहुंचा राखड़, NTPC व CSEB सालों से थमा रहा आश्वासन का झुनझुना.

knn24news/ कोरबा/कटघोरा : छत्तीसगढ़ राज्य में कोरबा जिले को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है. यहां कई छोटे-बड़े पावर प्लांट स्थापित है, जिसकी वजह से यहां प्रदूषण भी सर्वाधिक है, जिससे  जिले वासियों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही दो बड़े प्रबंधनो की एनटीपीसी और सीएसईबी की जिनका राखड डैम पिछले 5 वर्षों से 50 गांव के ग्रामीणों के लिए मुसीबत का कारण  बना हुआ है. कटघोरा क्षेत्र के धनरास व आसपास के लोगों का जीवन अंधकारमय होते जा रहा है.कटघोरा विकासखंड के 50 गांव एनटीपीसी व सीएसईबी के राखड डेमो से राखड़ हवा में उड़ने से प्रभावित है. यहां के स्थानीय नेता पिछले 5 वर्षों से शासन व प्रबंधन के खिलाफ लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. लेकिन आज तक इनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है उड़ते राखड के गुबार के कारण यहां निवास करने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य एवं सांस लेने व दिनचर्या के कामों में कई दिक्कतें आ रही हैं.

अब स्थिति यहां तक बन गई है कि यहां का राखड़ हवा के साथ कटघोरा शहर की ओर बढ़ रहा है. जिससे लोगों को सांस लेने की समस्या होने लगी है. कटघोरा शहर व आसपास के क्षेत्र में हवा या आंधी चलने पर राखड़ से पूरा क्षेत्र धुंधमय हो जाता है

अब स्थिति यहां तक बन गई है कि यहां का राखड़ हवा के साथ कटघोरा शहर की ओर बढ़ रहा है. जिससे लोगों को सांस लेने की समस्या होने लगी है. कटघोरा शहर व आसपास के क्षेत्र में हवा या आंधी चलने पर राखड़ से पूरा क्षेत्र धुंधमय हो जाता है.

धनरास के स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिवकला छत्रपाल कंवर से जब मीडिया ने इस विषय पर जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि क्षेत्र में NTPC एवं CSEB का राखड़ डेम स्थित है और लगभग 5 से 6 वर्षों से यहां के आसपास ग्रामीण गर्मी के मौसम में राखड़ उड़ने से काफी परेशान है जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है और यहां के पानी पीने से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों एवं बड़ो के दांत भी खराब हो रहे हैं. इस विषय को लेकर NTPC एवं CSEB प्रबंधन से कई बार चर्चा हो चुकी है लेकिन प्रबंधन का इस ओर ध्यान न देना काफी शर्मनाक है. अब तो यहां का राखड़ हवा में उड़कर कटघोरा शहर की ओर भी जा रहा है. प्रबंधन राखड़ डेम में पानी का छिड़काव भी नहीं करता है. जिससे हवा चलने पर राखड़ बेतहाशा मात्रा में उड़ रहा है.पिछले 5 वर्षों से कई बार चक्का जाम, धरना प्रदर्शन व अन्य कई आंदोलनकारी कार्यक्रम आयोजित करने के बाद भी प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. और सिर्फ लिखित आश्वासन का झुनझुना इन ग्रामीणों को थमा दिया जाता है.