छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री के गांव से ग्राउंड रिपोर्ट:गांव में न तो कोरोना टेस्टिंग हो रही न ही इलाज की सुविधा, स्वास्थ्य केंद्र भी हुआ खंडहर

knn24news/ छत्तीसगढ़ के गृह और लोक निर्माण विभाग मंत्री ताम्रध्वज साहू का गांव है पाऊवारा। दुर्ग से 12 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में होम मिनिस्टर का बड़ा मकान है, खेती-बाड़ी है, कुछ रिश्तेदार भी हैं, लेकिन नहीं हैं तो सुविधाएं। मंत्री जी और उनका परिवार सालों पहले यहां से निकलकर दुर्ग के मीनाक्षी नगर जा बसे थे और फिर अपने गांव को भूल ही गए। कोरोना काल में छत्तीसगढ़ के VVIP गांवों की स्थिति का जायजा लेने भास्कर की टीम होम मिनिस्टर के गांव पहुंची। देखिए क्या स्थिति है उनके गांव की…

अपने ही विभाग से सड़क तक नहीं बनवा पाए मंत्री जी
गांव की अनदेखी और बदहाली का संकेत यहां पहुंचने वाली सड़क की हालत ही दे देती है। शहर से महज 12-13 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव तक अच्छी सड़क भी नहीं है। गड्ढों भरी, कच्ची-पक्की सड़क गांव पहुंचाते-पहुंचाते खुद भी हांफने लगती है। गांव के भीतर तो हालात और भी खराब हैं। मुख्य सड़क पिछले 6 महीने से बन रही है। इस निर्माण से ग्रामीण परेशान हो चुके हैं।

धूल-मिट्टी, कीचड़ से घर के भीतर रहना भी दूभर हो गया है। ताज्जुब तो इस बात का है कि साहू जी के पास गृह मंत्रालय के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग भी है, लेकिन सड़क बनाने वाले इस विभाग के मंत्री अपने ही गांव की सड़क नहीं बनवा पाए हैं। ऐसे में गांव वाले बरसात में होने वाली दिक्कतों के बारे में सोचकर भी डरे हुए हैं।

कोरोना से 2 मौतें, 15 पॉजिटिव, फिर भी सावधानी नहीं
टूटी-फूटी सड़कों से गुजरते हुए जब हम गांव के भीतर पहुंचे तो हर तरफ लोग चौक-चौराहों पर बिना मास्क लगाए बैठकर गप मारते दिखे। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग नहीं देखकर हमने ग्रामीणों से पूछा कि क्या कोरोना खत्म हो गया तो उन्होंने सहज भाव से उत्तर दिया- हमारे गांव में तो खत्म हो गया, बाकी पता नहीं। युवकों के मुताबिक यहां अप्रैल में कोरोना संक्रमण के मरीज मिले थे, लेकिन अब सब ठीक है। ज्यादातर लोग अपने घरों में ही रहते है। गांव में मास्क की कोई जरूरत नहीं है। वैसे कहीं बाहर जाते हैं तो मास्क लगा लेते हैं।

पाऊवारा सरपंच वामन कुमार साहू ने बताया कि गांव में 2 लोगों की मौत हुई है और 15 कोरोना संक्रमित मिले थे, लेकिन अब सभी स्वस्थ हो चुके हैं। गांव में जब पहला मरीज मिला, तो मुनादी कराई गई। उस इलाके को पूरी तरह सैनिटाइज किया गया था। गांव के खगेन्द्र कुमार ने बताया कि आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में कोरोना मरीज मिल रहे हैं, लेकिन उनके गांव पाऊवारा में अभी तक सिर्फ 17 मरीज मिले थे, जिसमें से 15 ठीक हो गए।

खंडहर बना स्वास्थ्य केंद्र, कोई मेडिकल स्टाफ नहीं
गांव में किसी भी तरह की मेडिकल सुविधा नहीं है। कोमेश्वर प्रसाद कहते हैं कि गांव में अभी सबसे बड़ी समस्या यहां पर अस्पताल का नहीं होना है। अगर कोई बीमार होता है तो उसे 12 किमी दूर दुर्ग ले जाना पड़ता है। एक उप स्वास्थ्य केन्द्र है, जो करीब 40-50 साल पुराना है और अब खंडहर हो गया है। यहां एकमात्र ANM तैनात है जो दुर्ग शहर से कभी कभार ही आती है। अगर गांव का कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो उसे दुर्ग-भिलाई या फिर उतई स्थित अस्पताल में ले जाते हैं।

ग्रामीणों के मुताबिक न तो यहां कोई स्वास्थ्य कैंप लगा, न ही किसी ने कोई दवा, काढ़ा या कोरोना से बचने का कोई सामान बांटा। यहां तक कि कोरोना टेस्टिंग भी बंद है। जब टेस्टिंग ही नहीं होगी तो पता कैसे चलेगा कि गांव में कौन संक्रमित है। ऐसे में संक्रमण का बड़ा खतरा हो गया है। लोग कहते हैं कि मंत्री ताम्रध्वज साहू बीच-बीच में आते हैं, लेकिन जैसा विकास गांव में होना चाहिए वैसा बिल्कुल नहीं करा रहे हैं। नालियों का निर्माण भी अधूरा है। उनसे अस्पताल के लिए भी कहा गया है।