
काशी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव की एप्लिकेशन पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने सर्वेक्षण के काम को रोकने से इनकार कर दिया है।
उधर, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी सर्वे के फैसले को एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेशन कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। इस आदेश से कोर्ट 1980-1990 के दशक की रथ यात्रा के दौरान हुए खून-खराबे और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रही है। ओवैसी ने कहा कि सर्वेक्षण करने का ऑर्डर 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है।
सर्वे के पहले दिन शुक्रवार को हुए बवाल को देखते हुए पुलिस अलर्ट है। एक हजार पुलिस और PAC के जवान तैनात किए गए हैं। दरअसल, शुक्रवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों की वीडियोग्राफी पर हंगामा हुआ था। जुमे की नमाज की वजह से अन्य दिनों की तुलना में ज्यादा लोग पहुंचे थे। नमाज के बाद कुछ शरारती तत्वों ने धार्मिक नारेबाजी कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी।
वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) दिवाकर कुमार की अदालत के आदेश के आधार पर शुक्रवार को 4 बजे ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम शुरू हुआ था। सर्वे के बाद दोनों पक्ष बाहर निकले तो एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे। वादी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना था कि उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया। वहीं, प्रतिवादी पक्ष का कहना था कि मस्जिद की दीवारों को अंगुली से कुरेदने का प्रयास किया गया। मस्जिद में घुसने की कोशिश की गई।