देश-दुनिया को कोयले की आपूर्ति करने वाले छत्तीसगढ़ में भी कोयला संकट खड़ा हो गया है। सामने आया है कि प्रदेश के ताप बिजली घरों में केवल तीन से चार दिन के कोयले का स्टॉक बचा है। इन बिजली घरों को रोजाना 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें 23 हजार 290 मीट्रिक टन की आपूर्ति ही हो पा रही है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को हालात की समीक्षा के बाद SECL के CMD को पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में राज्य विद्युत कंपनियों के अध्यक्ष एवं ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव अंकित आनंद ने बताया, अभी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र कोरबा ईस्ट में 3 दिन और 8 घंटे का कोयला उपलब्ध है। इसी तरह हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कोरबा वेस्ट में 3 दिन और 2 घंटे का कोयला है। केवल मड़वा ताप विद्युत संयंत्र में 7 दिनों की आवश्यकता भर का कोयला उपलब्ध है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण मानक के अनुसार 5 दिनों की आवश्यकता से कम कोयले की उपलब्धता को क्रिटिकल स्थिति माना जाता है। बताया गया, प्रदेश के ताप बिजली घरों को रोजाना 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है। साउथ-इस्टर्न कोलफिल्ड्स लि. (SECL) के CMD अंबिका प्रसाद पांडा ने बताया, अभी छत्तीसगढ़ को SECL से 23 हजार 290 मीट्रिक टन कोयला दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, यहां की खदानों से निकला कोयला देश-विदेश की जरूरत पूरी कर रहा है। यहां कोयले का उत्पादन होता है, ऐसे में यहां के ताप बिजली घरों की जरूरत का गुणवत्ता वाला कोयला तुरंत मिलना चाहिए। बैठक में SECL के CMD ने अब से 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयला देना मंजूर किया। हालांकि उन्होंने यह कहा, बरसात के दिनों में कोयले की गुणवत्ता प्रभावित होती है। मतलब फिलहाल ताप बिजली घरों को उच्च गुणवत्ता वाला कोयला नहीं दिया जा सकता। इस बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कुमार सहित राज्य विद्युत कंपनियों के प्रबंध निदेशक भी शामिल हुए।