कोरबा। 1998 में दक्षिण कोरियाई कंपनी ने देबू पावर परियोजना को लेकर बड़ी राशि खर्च की थी। लेकिन किसी कारणवश यह योजना सफल नहीं हो सकी इसके साथ ही लोगों ने अधिग्रहित भूमि पर खेती किसानी शुरू कर दी लेकिन हाल ही में देबू पावर कंपनी ने बिलासपुर हाईकोर्ट में उक्त जमीन को अन्य प्रोजेक्ट के उपयोग के लिए मांगी है जिसका ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया है । इसके साथ ही अलग-अलग तरह से विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं । इन सबके बावजूद देबू पावर प्लांट की जमीन पर अतिक्रमण का खेल भी जारी है ।इस जमीन पर अवैध कब्जा कर ईटों का निर्माण किया जा रहा है ।डेंगूर नाला के पास बड़ी संख्या में ईटों का निर्माण किया जा रहा है ।मगर संबंधित विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। लोगों का कहना है कि कुछ बाहरी लोगों द्वारा इस अवैध कार्य को अंजाम दिया था रहा है, खनिज विभाग को इस बारे में अवगत कराया गया लेकिन लॉक डाउन का बहाना बनाकर उन्होंने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की।


