देवू द्वारा अधिग्रहित जमीन को किसानों को वापस करें सरकार :माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के तहत कोरबा जिले में पावर प्लांट के लिए दक्षिण कोरिया की कंपनी देवू द्वारा अधिग्रहित जमीन को मूल भूस्वामी किसानों को वापस करने की मांग की है। भूमि अधिग्रहण कानून में प्रावधान है कि यदि कोई कंपनी भूमि अधिग्रहण के पांच सालों के अंदर अपना उद्योग लगाने में असफल रहती है, तो अधिग्रहित जमीन मूल खातेदार को लौटा दी जाएगी।

माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सीटू के जिला अध्यक्ष एस एन बेनर्जी ने संयुक्त रूप से ब्यान जारी कर कहा कि अपने-आपको दिवालिया घोषित करने के बाद देवू का इस जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं रह गया है और जमीन का सीमांकन कराने का उसका आवेदन ही अवैध है। उन्होंने कहा कि कोरबा जिला प्रशासन जिस सक्रियता से काम कर रही है उससे यह स्पष्ट है कि वह कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए काम कर रही है जबकि कोरबा जिले में सीमांकन के हजारों प्रकरण सालों से लंबित पड़े हुए हैं।

आज ही माकपा और किसान सभा के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस क्षेत्र का दौरा किया तथा प्रभावित ग्रामीणों से बातचीत की। इस प्रतिनिधिमंडल में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के अध्यक्ष जवाहरसिंह कंवर व सीटू नेता एस एन बेनर्जी व धनंजय चंद्रा आदि शामिल थे। रिस्दी गांव के ग्रामीण भुवन सिंह कंवर, भूपेश कुमार साहू,निलम्बर सिंह कंवर ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि जिस जमीन का मुआवजा 27 साल पहले केवल 8.50 करोड़ रुपये दिया गया था, आज उसकी कीमत 850 करोड़ रुपयों से ज्यादा है। आज भी जमीन किसान के नाम पर है इस जमीन पर किसान खेती करते हैं जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया की लॉक डाउन के समय इस तरह एक्सीवेटर से जमीन की खुदाई करने से स्पष्ट है कि मामला केवल सीमांकन का नहीं है, इसका मूल मकसद भूमि पर काबिज किसानों को बेदखल करने का है, ताकि दिवालिया कंपनी इस जमीन का उपयोग रियल एस्टेट व्यापार एवं अन्य कार्यों के लिए कर सके। प्रतिनिधिमंडल ने पाया कि एक्सीवेटर से खुदाई आज भी जारी है।

किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने राज्य सरकार से अपील की है कि आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन पर नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के पक्ष में वह आगे आएं और जिस तरह बस्तर के आदिवासियों की टाटा के लिए अधिग्रहित जमीन को वापस किया गया है, कोरबा जिले के इस मामले में भी आदिवासियों और किसानों को जमीन वापसी की प्रक्रिया को शुरू करें। सीटू नेता एस एन बेनर्जी ने कहा कि कल जिला प्रशासन से मिलकर ज्ञापन देकर किसानों की जमीन वापसी की मांग करते हुए जमीन सीमांकन और मशीन को तत्काल बंद करने की मांग करेंगे नहीं तो मजबूरन लॉक डाउन में आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की