knn24news/ छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा के बार्डर पर स्थित सिलगेर, पुलिस की फायरिंग के बाद से सुलग रहा है। सिलगेर में 13 मई से ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन जारी है। शनिवार को आई एक खबर ने ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ा दिया है। खबर यह है कि पुलिस की फायरिंग की वजह से मची भगदड़ में घायल हुई गर्भवती महिला पूनेम सोमली की मौत हो गई है। इससे ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया है। 22 गांवों के हजारों लोग कैंप के सामने डटे हुए हैं और कैंप बंद करने की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने बताया कि भीड़ पूनम को रौंद कर आगे बढ़ने को मजबूर थी। घायल होने के बाद पूनम घर पर ही रही लेकिन अब उसकी मौत हो गई है। वो तीन महीने से गर्भवती थी। इससे पहले उसका एक बच्चा बीमारी की वजह से मर चुका था।
13 मई को हुई पुलिस फायरिंग में तीन लोगों की पहले ही मौत हो चुकी थी। पुलिस ने इन्हें नक्सली बताया था लेकिन आदिवासियों के मुताबिक ये आम लोग थे। इसलिए हजारों लोग पिछले 17 दिनों से इस इलाके में खुले पुलिस कैंप का विरोध कर रहे हैं।
4 लोगों की मौत, इसलिए स्मारक पर 4 पत्थर
सिलगेर की सड़क के किनारे जंगल के हिस्से में बैठकर ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं। गर्भवती महिला की मौत के बाद यहां कुछ ही घंटों में स्मारक बना दिया गया। इस स्मारक के ऊपर चार पत्थर रखे गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये पत्थर पुलिस की गोली से मारे गए तीन ग्रामीणों और भगदड़ में मारी गई गर्भवती महिला की याद में रखे गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये स्मारक हमें इस आंदोलन को और मजबूत करने की प्रेरणा देगा।
स्टेट हाईवे पर बिछा दिए पेड़
तर्रेम थाने के पास से जो सड़क सिलगेर को जोड़ती है उसे प्रदर्शनकारियों ने बंद कर दिया है। गुस्साए लोगों ने इस सड़क पर पास के जंगल से दर्जनों पेड़ काटकर डाल दिए हैं। पिछले 3 दिनों से ये सड़क बंद है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक फोर्स का कैंप नहीं हटेगा तब तक ये सड़क नहीं खुलेगी।

