बालकों की मनमानी चरम पर, रोजगार में स्थानीय लोगो की उपेक्षा, और कई मुद्दों को लेकर घेरा समाजसेवी केदारनाथ अग्रवाल ने

केदारनाथ अग्रवाल, कोरबा

कोरबा: कोरोना काल में जब स्थानीय लोगों को रोजगार की जरूरत है तब बालको प्रबंधन स्थानीय लोगों को रोजगार न देकर अन्य प्रांतों के लोगों को रोजगार क्यो दे रहा है? ये सवाल है कोरबा के समाजसेवी केदारनाथ अग्रवाल का। उन्होने कहा कि भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड बालको स्थानीय लोगों को रोजगार के नाम पर हमेशा ही छलती आई है। पूर्व से लेकर अब तक प्रबंधन की कोशिश यह रहती है कि वह बाहर के लोगों को लाकर उन्हें रोजगार दे एवं उनसे काम करवाएं, बालको की ये मनमानी किसके बलबूते बुलंद है, ये समझ से परे है ।

श्री अग्रवाल पूछते है की संयंत्र से उत्सर्जित होने वाले प्रदूषण, एक्सीडेंट के खतरे, चौबीसों घंटे हवा में उड़ती हुई राखड की समस्या जिससे सांस लेना दूभर हो चुका है, इन सब मुद्दो को लेकर बालको प्रबंधन आखिर उदासीन क्यों बना हुआ है, क्या उसे सिर्फ उत्पादन से मतलब है ओर अपने लोगो से नहीं। कई बार समस्या के अवगत कराने के बाद भी ध्यान न देना बालको प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाता है ।

उच्चतम न्यायालय ने कहा की आक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं तो ऐेसे में तमिलनाडु सरकार 2018 से बंद पड़ी वेदांता की स्टरलाइट तांबा संयंत्र इकाई अपने हाथ में लेकर कोविड-19 मरीजों की जान बचाने के लिये आक्सीजन का उत्पादन क्यों नहीं करती ?

लेकिन— क्या सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी बनती है की वही ऐसी परिस्थितियों में काम करे। बालको प्रबंधन का नहीं। श्री अग्रवाल ने कहा किसी न किसी को कुछ न कुछ ठोस से ठोस तो कहना चाहिए क्योंकि इस समय आक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं। लेकिन बालको प्रबंधन केवल अपने लक्ष्य की पूर्ति कर रहे है ।

इससे पहले भी बालको प्रबंधन अपने रिटायर्ड कर्मचारियों के इलाज के लिए हाथ पीछे खींच चुका है। लेकिन शासन प्रशासन को बालको की मनमानी पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल हो रही है। जिसका खामियाजा आम लोगो को भुगतना करना पड़ रहा है।

अंतिम में उन्होंने कहा अनेक शिकायतों के बाद भी  बालको पर कारवाही क्यों नहीं ?