बालकों द्वारा फेंकी जा रही जहरीली राख से लोगों में स्किन कैंसर, हड्डियों के गलने और आने वाली पीढ़ियों पर खतरा मंडराया-डॉ अनिल कुमार

कोरबा :- बालकों द्वारा कोरबा के आसपास जगह जगह फेंकी जा रही जहरीली राख से शहर के लोगों में गंभीर बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ गई है जिससे आने वाले समय में लोगों में स्किन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां बढ़ेगी इसके साथ साथ लोगों की इस जहरीली राख के विषाक्त पानी पीने से लोगों की हड्डियां गल जाएंगी जिससे आने वाली पीढ़ियों पर खतरा मंडरा रहा है वही बालकों वेदांता द्वारा जो प्लांट के विस्तार के नाम पर अवैध कब्जा किया जा रहा है वह इनकी अनाधिकार चेष्टा है वेदांता कोरबा का विकास नहीं विनाश कर रहा है उक्त बातें समाजिक संस्था पर्यावरण मंच एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रदेश संयोजक डॉक्टर अनिल कुमार ने कहीं ।

आज समाजिक संस्था पर्यावरण मंच एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के तत्वावधान में तिलक भवन में प्रेस वार्ता आयोजित की गई , जिसमें प्रेस को संबोधित करते हुए डॉ अनिल कुमार ने बालकों संयत्र और उनके प्रबंधन समिति के षड्यंत्रों का पर्दाफाश किया ।

उन्होने बताया कि भारत अल्युमिनियम कम्पनी का अल्युमिनियम उत्पादन सन 1974-75 में चालू हुआ । अल्युमिनियम उत्पादन के लिये अल्यूमिना प्लांट हंगेरियन टेक्नालॉजी से लगाया गया । एक टन अल्युमिनियम उत्पादन के लिये पांच टन बाक्साइट लगता है । इस पांच टन बाक्साइट से तीन टन कचड़ा ( रेड मड ) निकाल कर बड़े बड़े पॉण्ड में डाला जाता था , जो कि बहुत ही जहरीला पदार्थ रहता है । बालको प्लांट सन् 1974 से सन 2000 तक भारत सरकार द्वारा पच्चीस साल चलाया गया । इन पच्चीस सालों में करीब 75 लाख ( 25 लाख टन अल्यूमिना उत्पादन x 3 ) टन जहरीला रेडमड , प्लांट से निकला , जो कि 6-7 बड़े – बड़े पॉण्ड में रखा गया । रेडमड के अन्दर सोडियम , कैल्शियम , लिथियम , फास्फोरस , लोहा , मैंगनीज , सिलिका , टाइटेनियम , जिंक , बेरिलियम , कास्टिक , सोडियम हाइड्रॉक्साइड इत्यादि जहरीले पदार्थ रहते हैं ,

बालको प्लांट सन् 1974 से सन 2000 तक भारत सरकार द्वारा पच्चीस साल चलाया गया । इन पच्चीस सालों में करीब 75 लाख ( 25 लाख टन अल्यूमिना उत्पादन x 3 ) टन जहरीला रेडमड , प्लांट से निकला , जो कि 6-7 बड़े – बड़े पॉण्ड में रखा गया । रेडमड के अन्दर सोडियम , कैल्शियम , लिथियम , फास्फोरस , लोहा , मैंगनीज , सिलिका , टाइटेनियम , जिंक , बेरिलियम , कास्टिक , सोडियम हाइड्रॉक्साइड इत्यादि जहरीले पदार्थ रहते हैं , और उसे सम्भालकर रेडमड पॉण्ड में रखा जाता है , जिससे कि गलती से कहीं ये पदार्थ बाहर ना फैल जायें , और उसे उसी स्थिति में छोड़ दिया जाता है । और इसका हमेशा ध्यान और रखरखाव किया जाता है । उपरोक्त दिये गये रेडमड में उपस्थित केमिकल जहरीले होते हैं । इसलिए इन्हें भूमिगत जल इत्यादि में मिलने नहीं दिया जाता । अभौ देखा गया है कि इस केमिकल को बालको प्रबंधन रेडमड पॉण्ड से निकालकर कोरबा के आसपास जहां जगह मिले फैलाकर उपर से मिट्टी पाट रहा है । पानी बरसने पर यह केमिकल भूमिगत जल में जाकर मिल जाएगा , जिससे पूरे कोरबा क्षेत्र की भूमि और जल प्रदुषित हो जाएगा और मानव के उपयोग हेतु नही रह जाएगा । लोगों की हड्डियां गल जायेगी , भयानक रोग फैल जाएंगे । राखंड डेम में निर्धारित SOP का पालन नहीं किया जाता है । जिसके कारण राख पूरे कोरबा शहर में फैल जाती है , और प्रदूषण फैलाता है ।प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ( डॉ अनिल कुमार ) पर्यावरण संरक्षण गतिविधि एवं पर्यावरण मंच, सुरेश साहू उपाध्यक्ष BMS , नवरतन बरेठ – जिला मंत्री BMS, संयोजक पर्यावरण मंच सुरेश चौबे, आनन्द पाण्डे – विभाग संयोजक पर्यावरण संरक्षण गतिविधि

उपस्थित रहे।