कोरबा। छत्तीसगढ़ के आधे से ज्यादा इलकों को बिजली से रोशन करने वाला कोरबा शहर खुद प्रदूषण के गहरे अंधेरे में रहने को मजबूर है। आलम ये है कि कोरबा में स्थित बालको के पॉवर प्लांट से निकलने वाली राख लोगों केे फेफड़ों को छलनी कर रही है।
जिन इलाकों में पॉवर प्लांट स्थित है वहां के लोग हवा के जरिए इस राख फ्लाई एस को अपने शरीर में प्रवेश कराने के लिए मजबूर हंै। शोधकर्ताओं के मुताबिक कोयले को जलाने पर निकलने वाली इस राख की जद में लंबे समय तक रहने वाले व्यक्ति को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। गौरतलब है कि कोरबा में बालको के तीन पॉवर प्लांट स्थित हैं।
इसी राख के चलते कोरबा देश का पांचवां सबसे प्रदूषित शहर है। रिपोर्ट बताती है कि कोरबा में बालको के पॉवर प्लांट से प्रतिदिन 13100 टन से ज्यादा प्रदूषित फ्लाई ऐश निकलती है। नियमानुसार सभी पावर प्लांट्स को राख के लिये एक बड़ा सा गड्ढा (ऐश पॉन्ड) बना कर उसमें राख छोडऩी होती है ताकि इसका प्रयोग ईंट व सीमेंट बनाने में किया जा सके। लेकिन कोरबा में अब भी कई प्लांट ऐसे हैं, जिनके ऐश पॉन्ड पूरी तरह भर चुके हैं या जो राख को खुले मैदानों में ही छोड़ रहे हैं।
भर चुके पॉन्ड, सूख चुका पानी, उड़ रही राख
हाल ही में नवप्रदेश संवाददाता द्वारा बालको पॉवर प्लांट के पास बने ऐश पॉन्ड का मुआयना करने पर पाया गया कि पॉन्ड पूर तरह भर चुका है। उसमें पानी भी पूरी तरह सूख चुका था। राख सूखने के बाद जब तेज हवा चलती है तो राख पॉन्ड से उड़ कर आस-पास के इलाकों में फैलती है।
नहर का पानी भी हो रहा प्रदूषित
ऐश पॉन्ड का पानी रिसने के बाद हसदेव नहर में जाकर मिलता है। इस नहर के पानी का स्थानीय लोग नहाने, कपड़े धोने आदि के लिये करते हैं। लोगों का कहना है कि पानी में नहाने के बाद खुजली होती है, त्वचा में रैश पड़ जाते हैं, लेकिन मजबूरी है इसलिये इसमें नहाना पड़ता है।
इसलिए घातक होती है राख
कोरबा में बालको के तीन पावर प्लांट हैं और सभी थर्मल पॉवर प्लांट कोयले पर आधारित हैं। कोयले के जलने से निकलने वाली राख में आर्सेनिक, पारा यानी मरकरी, सीसा यानी लेड, वैनेडियम, थैलियम, मॉलीबेडनम, कोबाल्ट, मैंगनीज, बेरीलियम, बेरियम, एंटीमनी, एल्युमिनियम, निकेल, क्लोरीन और बोरोन जैसे तत्व पाये जाते हैं।
इनवायरन्मेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ईपीए की रिपोर्ट के अनुसार राख में अधिकांश तत्व हेवी मेटल यानी भारी धातु हैं, जिनकी जद में निरंतर आने पर किसी भी व्यक्ति को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। यानी ऐश पॉन्ड (राख रखने की जगह) के आस-पास रहने वाले लोगों को हमेशा गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है।
बढ़ता ही जा रहा राख का भंडार
ऐश पॉन्ड का पानी सूखने की जानकारी मुझे नहीं है। यदि वास्तव में ऐसा है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
वर्ष- राख
2002-2003- 15 लाख टन राख
2006-2007- 31.9 लाख टन
(कोरबा के विद्युत संयंत्रों से निकली राख को लेकर 3 नवंबर 2009 को भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट)














