बालको प्रबंधन द्वारा उत्सर्जित अपशिष्ट राखड़ को खुली हवा में इस तरह से छोड़ने योग्य बना दिया गया है मानो या स्थानीय लोगों की दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया हो। बालको प्रबंधन द्वारा बालको क्षेत्र के चारों तरफ राखड़ ही राखड़ फैला दिया गया है।
चाहे आप बालकों के किसी भी कोने में चले जाएं आज आपको राखड मुफ्त में मिलेगा श्वास लेने से लेकर खाने तक की पूरी व्यवस्था राखड़ के रूप में हमें जबरन लेनी पड़ती है क्योंकि वह हमारी मजबूरी बन गई है हमारे प्रशासनिक अधिकारी पता नहीं क्यों एक्शन नहीं ले पा रहे जनप्रतिनिधि पता नहीं क्यों चुप हैं।
और डैम का तो यह हालात है कि पानी का नामोनिशान कहीं पर नहीं राखड को पूर्ण रूप से सुखा कर दिया गया है और हल्के से हवा के झोंके से इस वीडियो के माध्यम से आप देख सकते हैं कि बस्ती वासियों की क्या स्थिति होती है और दिन भर दिन में 4 बार 5 बार हल्का सा हवा का झोंका आता है और ऐसी स्थिति निर्मित होती रहती है।
इस तरह के प्रदूषण से बच्चों का विकास रुक गया है बच्चे कुपोषित होने लगे हैं
बच्चों का मस्तिष्क विकास कम हो गया है कुछ बच्चे तो प्रदूषण के वजह से पैदा ही अपंग हो जा रहे हैं।
हमारे बुजुर्ग जिन्हें स्वास्थ्य की समस्या है उन्हें तो अपनी मृत्यु को सोचना ही नहीं पड़ रहा प्रदूषण इतना ज्यादा है कि वह एक-एक कर के हर दिन किसी न किसी बुजुर्ग की मृत्यु होती जा रही है।
यह राखड पूर्ण रूप से स्थानीय लोगों के लिए अभिशाप बन चुका है नदीयो, कूओं, तालाबों के पानी इस्तेमाल करने योग्य नहीं रह गए और जो उन्हें मजबूरन इस्तेमाल करते हैं वह किसी न किसी प्रकार की बीमारियों से जूझ रहे हैं।