परसाभाठा इस्तित डेंगुनाला नदी में बालको कंपनी के राखड़ डेम से गंदे एवं केमिकल उक्त पानी नाले में गिरते हैं।

बालको द्वारा नालों से बढ़ता प्रदूषण

परसाभाठा इस्तित डेंगुनाला नदी में बालको कंपनी के राखड़ डेम से गंदे एवं केमिकल उक्त पानी नाले में गिरते हैं। इन नालों के पानी में केमिकल भी होता है। जिला प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कइयों बार मजदुर संघटन द्वारा शिकायत की गयी पर जांच अभी तक हुई नहीं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अभी तक नालों की जांच क्यों नहीं की ?

बालको ड्रेनेज से निकलता गंदा पानी

आखिर नाले में क्यों छोड़ा जा रहा गंदा पानी

बालको संयंत्र में उपयोग के बाद निकलने वाला गंदा पानी लगातार परसाभाठा इस्तित डेंगुनाला नदी में मिल रहा है। इससे नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है, बालको प्रबंधन इतनी अधिक मात्रा में राखड़ डेम से पानी छोड़ रहा है कि क्षेत्र के बरसाती नाले भीषण गर्मी में भी लबालब रहते हैं। हालांकि प्रबंधन पानी को शुद्ध करने के बाद नाले में छोड़ने का दावा करता है। लेकिन सवाल यह है कि जो पानी को आस पास में रहेने वाले लोगो के उपयोग में आता है उस बहेते नदी में क्यों छोड़ा जा रहा है ?

प्रदूषण से कराह रही हसदेव नदी

डेंगुनाला से निकलने वाली हसदेव नदी प्रदूषण से कराह रही है। इसके बाद भी अब तक जिला प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कुछ खास नहीं कर सकी है। जो कुछ हो रहा कागज पर हो रहा है। बरसात में नदी की हालत पानी की अधिकता के चलते कुछ ठीक है, लेकिन आखरी तक नदी की हालत नाले जैसी हो जाती है। मानगो पुल के नीचे यह गंदे नाले जैसी नजर आती है। कभी सोने के कण लेकर बहने वाली इस नदी में इन दिनों औद्योगिक प्रतिष्ठानों से निकले जहरीले रसायन मौजूद हैं।

गंदगी के चलते बंद प्रकाश संश्लेषण

पर्यावरणविद बताते हैं कि डेंगुनाला में गंदे पानी के चलते सूरज की किरणें नदी के भीतर तक नहीं पहुंच पाती हैं। इसके चलते प्रकाश संश्लेषण की क्रिया ठप पड़ी है। इससे नदियों के पानी का शोधन करने वाले जंतु शैवाल और हाईड्रिला नदारद हो गए हैं। यह जंतु नदी के जहरीले पानी का शोधन कर जल में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं।