कोरबा: बालको प्रबंधन जहां एक ओर अपने बालको हॉस्पिटल में उपलब्ध मेडिकल सुविधा के लिए बड़ी-बड़ी बातें करता है।
वही एक ओर एक बहुत छोटी सी समस्या जो कि एक मजदूर परसाभाटा में रहने वाले के आंखों में ग्राइंडिंग करते वक्त बाबरी छिटक कर चला गया और जब वह मजदूर बालको हॉस्पिटल जाता है तब उसे वहां इस छोटी सी समस्या का समाधान करने हेतु डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं मिलते हैं।
उसे यह कह कर वापिस भेज दिया जाता है की मैडम सुबह 11:00 बजे तक आती है और 1:00 बजे तक मिलती हैं।
फिर उस मजदूर को अपनी उस समस्या को लेकर स्थानीय लोकल डॉक्टर के पास जाना पड़ता है जो उसके उस समस्या का इलाज 10 मिनट में करके उसे वापिस भेज देता है।
हॉस्पिटल कर्मचारियों को चाहिए था कि अगर एक डॉक्टर उपलब्ध नहीं है तो उन्हें अल्टरनेट डॉक्टर की व्यवस्था रखनी चाहिए थी। ताकि किसी भी वक्त किसी को भी वापस ना जाना पड़े अगर कोई इमरजेंसी में आ गया तो वहां उसे डॉक्टर उपलब्ध मिले।
क्योंकि कुछ समस्याएं ऐसी होती है जिसे इंसान रोककर नहीं रख सकता है उसका इलाज करवाना तुरंत आवश्यक होता है।
तो अब इससे क्या समझा जाए कि वाकई में बालको हॉस्पिटल की मेडिकल सुविधा मजबूत है या अत्यंत लाचार हैं।
या फिर उन डॉक्टरों के जो छोटे-छोटे से क्लीनिक खोलकर गांवों और बस्तियों में बैठे हैं उनकी व्यवस्था ज्यादा मजबूत है।
बाल्को हॉस्पिटल की इस समस्या पर बालको प्रबंधन को विचार करना चाहिए और बड़े – बड़े दिखावे करने से पहले अपनी स्वयं की व्यवस्थाओं में सुधार करना चाहिए।










