बालको की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। बालको द्वारा कर्मचारियों को दोहन जग जाहिर है। लेकिन ये शोषण मरने के बाद भी जारी रहता है। ऐसा हम नहीं बल्कि बालको एक युवक शहजाद आलम खान का कहना हैं । शहजाद ने विक्षप्ति जारी कर बालको पर गंभीर आरोप लगाए। शहजाद ने बताया कि बालको 2009 से लेकर आज 2021, तक कम से कम 15 से 20 बालको कर्मचारी के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दे सका। महज कुछ लाख का मुआवजा पकड़ाकर बालको प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ते आ रहा है । बालको ने सार्वजनिक उपक्रम समाप्त होने के बाद 51ः, शेयर बिकने के बाद भी सेंट्रल यूनियन के दबाव में मुखिया के समाप्त होने के बाद अनुकंपा नियुक्ति हुई थी ।’ मगर अनुकंपा के प्रावधान के अंतर्गत कर्मचारी लेबर लाँ के तहत कभी भी बंद नही किया जा सकता। मगर केस को दबा दिया गया । कई कर्मचारी जिन्होंने बालको को विश्व कीर्तिमान में तक पहुंचा दिया । उनके बीवी बच्चे कईयों के माता पिता दो वक्त की रोटी और बदले में नौकरी की राह देखते देखते थक गए। बालको प्रबंधन को इस अतिसंवेदनशील मुद्दे की तरफ ध्यान देने की जरूरत है।