यौन उत्पीड़न में फंसे पाठ्य पुस्तक निगम के GM:महिला कर्मी की याचिका पर विशाखा कमेटी की कार्रवाई पर रोक, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब

महिला यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक की मुश्किलें बढ़ सकती है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने विशाखा कमेटी की अनुशंसा पर किसी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य शासन और विशाखा कमेटी के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दरअसल, याचिका में महिला ने आरोप लगाया है कि विशाखा कमेटी में महाप्रबंधक के नीचे काम करने वाले कर्मचारी ही सदस्य हैं, ऐसे में कमेटी उनके खिलाफ कैसे जांच कर सकती है। इसलिए दूसरी जांच कमेटी बनाई जाए और इसके साथ ही दोषी अफसर की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर पहले उन्हें हटाया जाए।

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम (पापुनि) की एक महिला कर्मी ने यौन उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए महाप्रबंधक अरविंद कुमार पांडेय के शिकायत की है। महिला का आरोप है कि महाप्रबंधक पांडेय अपने कक्ष में उनके साथ गलत तरीके से व्यवहार करते हैं। उनकी शिकायत पर मामले की जांच का जिम्मा विशाखा कमेटी को दिया गया है। महिला ने यह भी आरोप लगाया है कि दोषी अधिकारी जांच को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उनकी प्रतिनियुक्ति को तत्काल समाप्त की जाए। उनकी शिकायत पर जांच का जिम्मा विशाखा कमेटी को दिया गया है।

दोषी अफसर के कर्मचारियों को ही जांच का जिम्मा
पीड़ित महिला ने अपने अधिवक्ता एवी श्रीधर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर शासन गंभीर नहीं है। बल्कि, जांच के बहाने लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है। जांच के लिए बनी विशाखा कमेटी के गठन को चुनौती देते हुए कोर्ट को बताया कि दोषी अफसर निगम के बड़े अफसर हैं। ऐसे में उनके नीचे काम करने वाले क्लर्क और प्यून को कमेटी का सदस्य बनाया गया है।

कमेटी बनने के बाद जब पहली बार बैठक हुई, तब पीड़ित महिला को शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया। इससे स्पष्ट है कि विशाखा कमेटी अफसर के दबाव में काम कर रही है और कमेटी उनके खिलाफ रिपोर्ट नहीं दे सकती। इस संबंध में याचिकाकर्ता महिला ने शासन को पत्र भी लिखा था। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके चलते उन्हें हाईकोर्ट में याचिका दायर करना पड़ा है। याचिका में विशाखा कमेटी को भंग कर नई कमेटी बनाने और दोषी अफसर की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर निष्पक्ष जांच कर दोषी अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई।

निगम ने कहा- कमेटी ने सौंप दी है रिपोर्ट
बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान पाठ्य पुस्तक निगम के तरफ से उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि विशाखा कमेटी ने इस मामले की जांच पूरी कर ली है। इसके साथ ही रिपोर्ट भी सौंप दी है। इस पर कोर्ट ने विशाखा कमेटी की अनुशंसा पर किसी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।

वकील बोले- कोर्ट ने नहीं दी अंतरिम राहत

इस मामले में पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी, अनिमेश तिवारी और अर्जित तिवारी ने कहा कि याचिकाकर्ता की तरफ से महाप्रबंधक के खिलाफ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है। विशाखा कमेटी ने जब उनकी शिकायत की जांच शुरू की, तब महिला कर्मी उसमें शामिल नहीं हुईं। अब कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ अंतरिम राहत देने की मांग की गई। याचिका पर कोर्ट ने महाप्रबंधक के खिलाफ कोई भी अंतरिम राहत देने से इंकार किया है।