रायपुर: ऑनलाइन अटेंडेंस आदेश पर शिक्षकों में नाराजगी, संगठनों ने बताया निजता का उल्लंघन

रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों और विद्यार्थियों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के लिए मोबाइल एप लागू करने के आदेश के बाद प्रदेशभर में शिक्षकों के बीच नाराजगी और असंतोष देखने को मिल रहा है। शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी इस फैसले के खिलाफ मुखर हो गए हैं और इसे अव्यवहारिक बताते हुए निजता के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, शैलेन्द्र यदु, कोमल वैष्णव, प्रदेश सचिव मनोज सनाढ्य और प्रदेश कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र परिक ने संयुक्त रूप से कहा कि शासन द्वारा विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) मोबाइल एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने का आदेश पूरी तरह अव्यवहारिक है। शिक्षकों का मोबाइल उनका निजी संसाधन है, जिसमें जबरन एप डाउनलोड कराना निजता का हनन है। साथ ही डाटा लीक या साइबर फ्रॉड की स्थिति में जिम्मेदारी किसकी होगी, यह स्पष्ट नहीं है।

शिक्षक नेताओं का कहना है कि यदि शासन को ऑनलाइन या बायोमेट्रिक उपस्थिति लेनी ही है तो प्रत्येक विद्यालय में मशीन उपलब्ध कराई जाए और नेटवर्क की समुचित व्यवस्था की जाए। निजी मोबाइल पर उपस्थिति दर्ज कराना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि मोबाइल एप से उपस्थिति का आशय यह दर्शाता है कि शासन को अपने अधिकारियों और निरीक्षण व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। एक ही उपस्थिति को मोबाइल एप और रजिस्टर दोनों में दर्ज करना शिक्षकों पर अनावश्यक बोझ है, जो न तो व्यवहारिक है और न ही तकनीकी रूप से संभव।

शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा असर

सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पांडेय ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने वाली किसी भी पहल का शिक्षकों ने हमेशा समर्थन किया है, लेकिन विभाग में लगातार हो रहे प्रयोगों से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सभी शिक्षकों के पास एंड्रॉयड मोबाइल है और क्या सभी स्कूलों में नेटवर्क उपलब्ध है? प्रदेश के कई स्कूल सुदूर और ग्रामीण इलाकों में हैं, जहां नेटवर्क की गंभीर समस्या है। ऐसी स्थिति में ऑनलाइन अटेंडेंस कैसे संभव होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि शिक्षक मोबाइल घर भूल जाएं या बैटरी खत्म हो जाए, तो उनकी उपस्थिति कैसे दर्ज होगी, इस पर विभाग ने कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं।

डाटा लीक और सर्वर समस्या पहले सुधारे सरकार

शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने निजी मोबाइल में एप डाउनलोड कराने को शिक्षकों की निजता का सीधा उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी एप को डाउनलोड करने पर डाटा, कैमरा और अन्य अनुमतियां देनी पड़ती हैं, जिससे व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है। AI और डीपफेक के दौर में यह और भी खतरनाक हो सकता है।

वीरेंद्र दुबे ने सरकार से मांग की कि पहले नेटवर्क और सर्वर से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की दिक्कतें आम हैं, ऐसे में ई-अटेंडेंस लागू करना शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव डालना है।

मोबाइल नंबर बैंक खातों से लिंक, फ्रॉड की जिम्मेदारी कौन लेगा?

शिक्षकों का कहना है कि उनके मोबाइल नंबर बैंक खातों से जुड़े होते हैं। पहले भी विभागीय एप्स के जरिए व्यक्तिगत जानकारी लीक होने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। यदि भविष्य में किसी प्रकार का वित्तीय फ्रॉड होता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, यह बड़ा सवाल है। शिक्षकों को न तो मोबाइल उपयोग के लिए कोई भत्ता दिया जाता है और न ही किसी नुकसान की भरपाई का प्रावधान है।

यह है शासन का आदेश

स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव आर.पी. वर्मा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति के लिए “विद्या समीक्षा केंद्र” मोबाइल एप तैयार किया गया है, जो प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। वर्तमान में इसे 7 जिलों में लागू किया गया है, जहां शिक्षक नियमित रूप से एप में उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। अब इसे राज्य के शेष 26 जिलों में भी लागू करने का निर्णय लिया गया है।

आदेश के अनुसार, प्रतिदिन की उपस्थिति की जानकारी भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय विद्या समीक्षा केंद्र को भेजी जाएगी और इसकी नियमित समीक्षा की जाएगी।

फिलहाल, इस आदेश के बाद शिक्षक संगठनों का विरोध तेज होता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि शासन शिक्षकों की आपत्तियों पर क्या रुख अपनाता है और क्या ऑनलाइन अटेंडेंस व्यवस्था में कोई संशोधन किया जाता है या नहीं।