knn24news/ देश में कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है। इलाज से लेकर मौत के बाद भी मरीजों के परिजन संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। राजस्थान के कोटा में ऐसा ही एक मामला सामने आया। जहां कोरोना संक्रमित बेटी के शव को वार्ड से बाहर लाने के लिए वार्ड बॉय ने पिता से एक हजार रुपए मांगे। यही नहीं, कोटा से झालावाड़ तक जाने के लिए एंबुलेंस ड्राइवर ने तो 35 हजार रुपए की डिमांड रखी। थक-हारकर लाचार पिता बेटी के शव को कंधे पर उठाकर हास्पिटल के बाहर आया और अपनी कार से ही शव को झालावाड़ ले गया।
परिजन के संघर्ष की कहानी
कोटा के DCM इलाके के रहने वाले मधुराजा ने बताया कि उनकी भांजी सीमा (34) झालावाड़ की रहती थी। कोरोना पॉजिटिव आने पर उसे 7 मई को कोटा के नए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। HRCT जांच में सीटी स्कोर 22/25 था, जबकि सैचुरेशन 31 रह गया था। गम्भीर हालत में उसे ICU में शिफ्ट किया गया। धीरे-धीरे उसकी सेहत में सुधार होने लगा। बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के सैचुरेशन 60 के ऊपर पहुंच गया था।
मधुराजा ने बताया कि उसे ICU में हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया था। 20 मई को डॉक्टर्स ने उसे सामान्य वार्ड (TB वार्ड) में शिफ्ट करने के लिए कहा। परिवार स्टाफ और डॉक्टर्स के सामने गिड़गिड़ाया कि अभी इसे हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत है। ICU में ही रहने दो। मगर उनकी किसी ने एक न सुनी और बोले कि दूसरे गम्भीर मरीज को शिफ्ट करना है। ICU बेड खाली करना होगा। सामान्य वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई प्रॉपर नहीं थी। उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। इसके बाद 23 मई को उसकी मौत हो गई।
वार्ड बॉय से लेकर एंबुलेंस सर्विस में लूट
मधुराजा ने बताया कि यहां बिना पैसे के कोई काम नहीं होता। हर आदमी को पैसे देने पड़ रहे हैं। ऐसा तो प्राइवेट अस्पतालों में भी नहीं होता। सीमा के शव को वार्ड से बाहर लाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी। पहले वार्ड बॉय ने एक हजार रुपए की डिमांड की। पैसा नहीं देने पर उसने शव को हाथ तक नहीं लगाया। शव को वार्ड से नीचे तक स्ट्रेचर पर लाए। फिर जैसे-तैसे सीमा के पिता ने कंधे पर शव रखकर गाड़ी तक पहुंचाया। यहां खड़े एंबुलेंस ड्राइवर से झालावाड़ शव ले जाने के लिए बात की। एक एंबुलेंस ड्राइवर ने 35 हजार किराया बताया। दूसरे ने 18 हजार, वहीं तीसरे ने 15 हजार रुपए बताए।
सीट बेल्ट से बांधा शव
उन्होंने बताया कि इसके बाद सीमा के पिता ने खुद की कार से शव को ले जाने का फैसला किया। कार की आगे की सीट पर शव को रखा और सीट बेल्ट से बांध दिया। ऐसे वे झालावाड़ पहुंच पाए। इस दौरान एक और परिजन शव को अपनी कार में रखकर ले जा रहे थे। वहां भी कोई वार्ड बॉय नहीं था। परिजनों ने खुद ही शव को स्ट्रेचर से उठाकर कार में रखा।
यहां कोई किसी की नहीं सुनता
परिजन से जब पूछा कि आपने अस्पताल प्रशासन के शिकायत क्यों नहीं की, तो उन्होंने बताया कि शिकायत करने से क्या होगा, यहां तो हर मरीज के साथ रोज ही ऐसा हो रहा है। शिकायत कर भी देते तो अस्पताल प्रशासन केवल जांच की बात करता। उससे क्या फायदा, पहले से कई जांच चल रही हैं ,उनका ही नतीजा नहीं आया।













