शहरी स्वच्छता में पाटन टॉपर:छोटे शहरों की श्रेणी पर पूर्वी क्षेत्र में प्रथम, देश भर में मिला दूसरा स्थान

शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे पाटन ने टॉप किया है। छोटे शहरों की कैटेगरी में दुर्ग जिले के पाटन ने पूर्वी क्षेत्र में पहला और देश भर में दूसरा स्थान पाया है। वहीं स्वच्छ शहरों में अंबिकापुर ने अपनी बादशाहत कायम रखी है। बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट की श्रेणी में छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर रहा। पाटन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विधानसभा क्षेत्र है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित समारोह में स्वच्छता सर्वेक्षण के पुरस्कारों की घोषणा की। स्थिरता और सुशासन के प्रभावशाली प्रदर्शन में एक लाख से अधिक आबादी की श्रेणी वाले शहरों में मध्यप्रदेश के इंदौर ने लगातार छठे वर्ष सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार हासिल किया। गुजरात के सूरत शहर को दूसरा स्थान मिला। वहीं महाराष्ट्र की नवी मुंबई ने तीसरा स्थान हासिल किया। एक लाख से कम जनसंख्या की श्रेणी में महाराष्ट्र के पंचगनी और कराड ने पहला और तीसरा स्थान हासिल किया, जबकि छत्तीसगढ़ के पाटन को दूसरा स्थान मिला। पाटन पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में इस श्रेणी का शीर्ष शहर बन गया है।

तिरुपति को सफाई मित्र सुरक्षा में सर्वश्रेष्ठ शहर का पुरस्कार मिला, जबकि उत्तराखंड के हरिद्वार को एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सर्वश्रेष्ठ गंगा शहर का पुरस्कार मिला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पुरस्कार प्रदान किया। पाटन के मुख्य नगर पालिका अधिकारी योगेश्वर उपाध्याय ने दैनिक भास्कर से चर्चा में कहा, कई वर्षों से शहर का फोकस स्वच्छता और नागरिक सुविधाओं पर है। स्व-सहायता समूहों की मदद से कचरे से खाद बनाई जा रही है। कहीं भी कचरा नहीं छोड़ा गया। जितने सार्वजनिक शौचालय हैं, उनको साफ रखने पर जोर है। वहीं सड़कों, मैदानों, सार्वजनिक स्थलों को साफ रखा गया है। इसकी वजह से पाटन को यह उपलब्धि मिल पाई है। पाटन को पिछले साल 25 हजार से कम आबादी वाले शहरों में कचरा मुक्त शहर श्रेणी में फाइव स्टार रेटिंग मिली थी।

पाटन कैसे बना स्व्छता का रोल मॉडल

1. नरवा,गरवा घुरवा, बाड़ी और स्वच्छता के कन्वर्जेंस का इंटीग्रेटेड मॉडल।

2. देश का सर्वप्रथम आईईसी एक्सपेरियेंस जोन।

3. देश का सर्वप्रथम 5 स्टार छोटा शहर।

4. देश का प्रथम ODF शहर।

5. यहां के नागरिक स्वच्छता सुविधाओं से पूरी तरह संतुष्ट होने के कारण शहर सिटीजन फीडबैक में आगे।

6. छोटे शहरों का प्रदेश में पहला मलबा प्रसंस्करण प्लांट।

7. पूरे देश के लिए रोल मॉडल, 3 मार्च को सभी राज्यों की टीम ने यहां भ्रमण किया।

8. अर्बन गोठान का उत्कृष्ट कार्य के साथ कचरा और गोबर का 100% खाद निर्माण।

9. मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना के माध्यम से स्वच्छता कर्मियों का इलाज।

(जैसा-नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया)

दूसरा सबसे स्वच्छ राज्य बना प्रदेश

इन पुरस्कारों में सबसे स्वच्छ राज्यों की रैंकिंग भी जारी हुई। मध्यप्रदेश 100 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों की श्रेणी में सबसे स्वच्छ राज्य बन गया है। वहीं छत्तीसगढ़ इस श्रेणी का दूसरा सबसे स्वच्छ राज्य घोषित हुआ है। छत्तीसगढ़ पिछले तीन सालों से पहला सबसे स्वच्छ राज्य बना हुआ था। इस श्रेणी में महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर रहा है। 100 से कम शहरी निकायों वाले राज्यों में त्रिपुरा पहले स्थान पर रहा। झारखंड को दूसरा और उत्तराखंड को तीसरा स्थान मिला है। इस श्रेणी भी झारखंड भी पिछले साल तक शीर्ष पर था।

ऐसे हुआ था यह स्वच्छता सर्वेक्षण

इस साल के स्वच्छता सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ के सभी 169 शहरों ने भाग लिया। इसके लिए सर्वेक्षण की टीमें पिछले आठ महीनों से लगातार इन शहरों का भ्रमण कर रही थीं। सर्वे की टीम ने शहरों में मिशन क्लीन सिटी, स्वच्छता श्रृंगार, सुविधा 24, गोधन न्याय योजना, निदान-1100, निष्ठा आदि राज्य प्रवर्तित योजनाओं के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति को देखा। लोगों का फीडबैक लिया। उसके आधार पर हर गतिविधि के लिए अंक दिए।

इंडियन स्वच्छता लीग में प्रदेश के आठ शहर

इससे पहले इंडियन स्वच्छता लीग (ISL) में विजयी शहरों का ऐलान हुआ। इसमें अलग-अलग वर्गों के तहत 15 हजार से कम आबादी वाले नगरीय निकायों में भटगांव और माना कैंप ने पहला स्थान हासिल किया। वहीं 15 से 25 हजार की आबादी में खैरागढ़ और 25 से 50 हजार की आबादी वाले निकाय में जशपुर नगर और कोंडागांव ने पहला स्थान हासिल किया। इसी में 50 हजार से 1 लाख में बिरगांव, 1 लाख से 3 लाख की आबादी में अंबिकापुर प्रथम स्थान पर रहा है। वहीं 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में रायपुर ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है।