नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने बीएलओ पर बढ़ते हमलों, धमकियों और अत्यधिक कार्यभार को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नया नोटिस जारी किया है। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के महीनों में बीएलओ की सुरक्षा को लेकर कई घटनाएं सामने आई हैं।
कोर्ट की नाराजगी: “राजनेता इस मंच का प्रचार के लिए उपयोग कर रहे”
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कई राजनेता इस मुद्दे को लेकर बार-बार कोर्ट पहुँच रहे हैं, मानो यह उनके लिए ध्यान आकर्षित करने का मंच बन गया हो।
उन्होंने टिप्पणी की—
“हमें चिंता है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ रहा है। यह मंच प्रचार का साधन नहीं होना चाहिए।”
बीएलओ पर बढ़ते हमले, सिर्फ एक एफआईआर!
जस्टिस जॉयमाल्य बागची ने सुनवाई में बताया कि बीएलओ पर हिंसा और धमकियों के कई मामलों के बावजूद अब तक केवल एक एफआईआर दर्ज की गई है।
बाकी घटनाएं वर्षों पुरानी हैं, जिनका निपटारा नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि
“चुनाव से पहले पुलिस प्रशासन को सीधे चुनाव आयोग के नियंत्रण में देना सामान्य प्रक्रिया में शामिल नहीं है।”
चुनाव आयोग के वकील ने भी कोर्ट के सामने बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
4 दिसंबर की सुनवाई: बीएलओ की मौतों पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
कुछ दिन पहले 4 दिसंबर को तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी TVK द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि देशभर में अत्यधिक कार्यभार और तनाव के कारण 35–40 बीएलओ की जान जा चुकी है।










