बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक विवाद में बड़ा फैसला सुनाते हुए SECL अधिकारी को पत्नी से तलाक की अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा कि पत्नी ने बिना पर्याप्त कारण वैवाहिक जीवन से दूरी बनाई, जो पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि पति अपनी पत्नी को 6 महीने के भीतर 15 लाख रुपए स्थायी गुजारा भत्ता देगा।
मामले की पृष्ठभूमि
-
कोरबा निवासी SECL अफसर की शादी 2010 में हुई थी।
-
कुछ ही समय बाद पत्नी ने वैवाहिक कर्तव्यों से इनकार कर दिया और संयुक्त परिवार से अलग रहने का दबाव बनाया।
-
2011 से पत्नी मायके में रह रही है।
-
पति ने कई बार पत्नी को वापस लाने की कोशिश की और कोर्ट में भी अर्जी लगाई, लेकिन पत्नी तैयार नहीं हुई।
पत्नी के आरोप
पत्नी ने पति और उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, मारपीट और 5 लाख रुपए की मांग का आरोप लगाया। उसने 498ए, घरेलू हिंसा और भरण-पोषण के मामले दर्ज कराए। हालांकि, 2021 में अदालत ने पति और परिवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
निचली अदालत का फैसला और हाईकोर्ट की टिप्पणी
-
2017 में कोरबा फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि क्रूरता और परित्याग साबित नहीं हुआ।
-
लेकिन हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद) ने कहा कि दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य बताते हैं कि पत्नी ने बिना कारण पति से दूरी बनाई और लगातार अलग रहकर व मुकदमे दर्ज कराकर मानसिक व शारीरिक क्रूरता की।