कोरोना इलाज की जटिलताओं की वजह से बढ़ी ब्लैक फंगस बीमारी (म्यूकरमाइकोसिस) ने अपना दायरा बढ़ा लिया है। रायपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें मरीज को ब्लैक फंगस का कोई सामान्य लक्षण नहीं था। वह साइनस का इलाज करा रहा था। ऑपरेशन में काली झिल्ली निकली तो उसे बायोप्सी के लिए भेजा गया। अब पुष्टि हुई है कि वह ब्लैक फंगस है।
रायपुर के नाक-नाक-गला रोग विशेषज्ञ और छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, उनके पास ग्रामीण क्षेत्र के एक 30 साल के युवक का इलाज चल रहा था। करीब 15 दिन पहले उसके साइनस का ऑपरेशन किया। इस दौरान एक काली झिल्ली निकाली गई। वह झिल्ली देखकर थोड़ा शक हुआ तो उसे बायोप्सी के लिए भेजा। कल उसके बायोप्सी की रिपोर्ट आई है। इसमें उस झिल्ली के म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस होने की पुष्टि की गई है। इस रिपोर्ट से डॉक्टर भी हैरान हैं।
डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया- “मरीज की पूरी हिस्ट्री चेक की है। वह कभी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ। उसको डायबिटिज और हाइपरटेंसन जैसी कोई बीमारी नहीं थी। उम्र भी केवल 30 साल थी। यह अपने तरह का पहला मामला था। उन्होंने उस युवक को म्यूकरमाइकोसिस की दवाएं लेने की सलाह दी है।”
साइनस नाक का एक रोग है। बार-बार नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है। तनाव के साथ ही चेहरे पर सूजन आ जाती है। इसके मरीज की नाक और गले में कफ जमता रहता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति धूल और धुआं बर्दाश्त नहीं कर सकता।
डॉ. राकेश गुप्ता बताते हैं कि इस मामले में यह लगता है कि उस लड़के को कम उम्र और मजबूत प्रतिरोधक क्षमता ने बचा लिया। मजबूत इम्यूनिटी की वजह से ब्लैक फंगस बढ़ नहीं पाया। लेकिन संक्रमण होने के बाद भी देर तक लक्षण नहीं दिखने की यह स्थिति खतरनाक हो सकती है।
डॉक्टरों का कहना है कि बरसात में हवा में नमी बढ़ने से ब्लैक फंगस के पनपने और फैलने का खतरा बढ़ गया है। कोरोना से ठीक हुए लोगों, डायबिटिक और हाइपरटेंशन के मरीजों को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा। लक्षण दिखते ही डॉक्टर से इलाज कराएं। इसमें लापरवाही भारी पड़ सकती है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पिछले तीन दिनों में प्रदेश में ब्लैक फंगस के तीन नए मामले सामने आए हैं। अब तक इस बीमारी के 378 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 121 मरीज इलाज के बाद डिस्चार्ज हो गए। 59 मरीजों की मौत हो गई। और 189 मरीजाें का प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में इलाज जारी है। ब्लैक फंगस के इन मरीजों में से 249 काे ऑपरेशन की जरूरत पड़ी है।
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का पहला मामला 11 मई को भिलाई में सामने आया था। 13 मई को तो भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल में ब्लैक फंगस की वजह से पहली मौत हो गई। उसके बाद प्रदेश के दूसरे हिस्सों से भी इस बीमारी के लक्षणाें वाले मरीजों का आना शुरू हो गया। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अभी तक ब्लैक फंगस के 378 मरीज सामने आ चुके हैं। जिसमें दुर्ग के सबसे अधिक ९१ तथा रायपुर के ७२ शामिल ह
