ब्लैक फंगस के ये है कारण, ऐसे कराए उपचार, कोरबा के जाने माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रसाद ने दी जानकारी

Dr. Hare Ram Prasad (Eye Specialist, Phaco Surgeon)

कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के केस बढ़ने से देश का स्वास्थ्य महकमा काफी सतर्क हो गया है और आम लोगों को जागरूक करने में जुट गया है। इसी क्रम में कोरबा के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञों डॉक्टर प्रसाद ने ब्लैक फंगस के बारे में विस्तार से बताया है। ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के बारे में अहम जानकारी दी है। डॉक्टरों ने बताया कि ब्लैक फंगस वातावरण में मौजूद है। खासकर मिट्टी और सीलन में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है। यह स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर अटैक नहीं कर पाता है और जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उन्हें यह अपना शिकार बनाता है।

इन मरीजों को है सबसे अधिक खतरा

डायबिटिज के मरीज में जिन्हें स्टेरॉयड दिया जा रहा है। कैंसर का इलाज करा रहे मरीज.अधिक मात्रा में स्टेरॉयड लेने वाले मरीज ऐसे कोरोना संक्रमित जो ऑक्सीजन मॉस्क या वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। ऐसे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम है। ऐसे मरीज जिनके किसी ऑर्गन का ट्रांसप्लांट हुआ हो।

ये लक्षण हो सकते हैं ब्लैक फंगस

डाक्टर प्रसाद ने KNN24 से बातचीत में बताया कि ब्लैक फंगस आमतौर पर साइनस, मस्तिष्क और फेफड़ों को प्रभावित करता है। हालांकि बुडयाल के मुताबिक ओरल केविटी या मस्तिष्क के ब्लैक फंगस से सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका रहती है लेकिन कई मामलों में यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।

इसके साथ ही नाक बंद होना या नाक से खून या काला-सा कुछ निकलना गाल की हड्डियों में दर्द होना, एक तरफ चेहरे में दर्द, सुन्न या सूजन होना, नाक की ऊपरी सतह का काला होना, दांत ढीले होना, आंखों में दर्द होना, धुंधला दिखना या दोहरा दिखना।

इन कारणों से बढ़ रहे ब्लैक फंगस

डॉक्टर प्रसाद के मुताबिक कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल हो रहा है जिससे शुगर का लेवल बढ़ रहा है। शुगर लेवल बढ़ने और फिजिकल एक्टिविटी न होने पर ब्लैक फंगस के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। स्टेरॉयड के इस्तेमाल से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता कम होती है, जिससे ब्लैक फंगस के विरुद्ध शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र प्रभावी तरीके से काम नहीं कर पाता है। इसके आलावा हाईजीन और दूषित इक्विपमेंट के चलते भी ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं।

ब्लैक फंगस के इलाज में सावधानी जरूरी

डाक्टर प्रसाद के मुताबिक डायबिटिक मरीजों में ब्लैक फंगस का शुरुआती दौर में ही पता लगना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि डायबिटिक लोगों को ज्यादा स्ट्रॉन्ग दवाएं देने से उनकी किडनी या अन्य अंगों पर बुरा असर पड़ने का भी खतरा रहता है।