37 ‘मुर्दा’ किसानों की कौन सुनेगा पीड़ा ? साहब हम जिंदा हैं…बस जिम्मेदारों ने कागजों में कत्ल कर डाला, PM MODI से बोले अन्नदाता…हमें भी जीने का अधिकार दे दो सरकार…

तखतपुर। क्या अजीब खेल है न इस सिस्टम का. कभी जिंदा इंसान को मुर्दा कर देते हैं, तो कभी मुर्दे को जिंदा बता देते हैं. फिर जब वही कागजों में जिंदा और मुर्दा इंसान सरकार दफ्तरों का चक्कर काटता है तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है. ऐसा ही कुछ मामला बिलासपुर के तखतपुर से सामने आया है. जहां जिंदा किसानों को सिस्टम ने मार डाला. किसान कह रहे हैं कि साहब हम जिंदा हैं. बस जिम्मेदारों ने कागजों में हमारा कत्ल कर डाला. बस फरियाद लेकर खुद को जिंदा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. PM मोदी से किसानों ने गुहार लगाई है.

दरअसल, हाल ही में ग्राम पंचायत खम्हरिया के सरपंच नरेन्द्र ध्रुव ने कलेक्टर समेत अन्य को ज्ञापन सौंप कर गांव के मुर्दा किसानों के जीवित होने का हाल सुनाया. तखतपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत खम्हरिया के सरपंच ने धृतराष्ट्र जैसे अधिकारियों के कारनामों की पोल खोली है. सरपंच ने बताया कि गांव के 400 किसान खेती किसानी का कार्य करते हैं, जिसमें अधिकतर किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिलता था, लेकिन पिछले एक साल से करीब 68 किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.सरपंच ने बताया कि जब किसानों ने लाभ नहीं मिलने की जानकारी च्वाइस सेंटर में ली, तब किसानों के पैरों तले जमीन खिसक गई. सिस्टम ने इन किसानों की मौत आने से पहले ही मार डाला है. यही वजह है कि अब इन किसानों की ना तो कोई फरियाद सुनी जा रही और ना ही कोई गुहार.इस संबंध में ‘मृत’ किसान अरविंद ध्रुव ने बताया कि छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव है, जहां सिस्टम की फेलियर के कारण पहले 68 से अधिक किसानों को मृत घोषित कर दिया गया था, जिसमें अभी भी 37 किसान ऐसे हैं, जो आज भी मृत घोषित हैं.