कोरबा, 20 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बहुचर्चित डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) घोटाले की परतें लगातार खुल रही हैं, जैसे प्याज के छिलके। इस मामले में कई प्रमुख अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं, जिसमें कोरबा की पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर और तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू शामिल हैं। इन दोनों अधिकारियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है और फिलहाल वे ईडी की रिमांड पर हैं।

घोटाले के मुख्य आरोपों में 125 करोड़ रुपए से अधिक की अनावश्यक सामग्री की खरीदी शामिल है। इस खरीदी में आत्मानंद स्कूलों के लिए फर्नीचर, कैमरे, टीवी जैसी चीजें भी शामिल हैं, जिनकी जरूरत नहीं थी। बताया जा रहा है कि यह खरीदी जून 2021 से जून 2022 के बीच हुई थी, जब रानू साहू कोरबा की कलेक्टर थीं और माया वारियर आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त के रूप में कार्यरत थीं।

इस मामले में सबसे अधिक अनियमितता सामग्री की खरीदी में पाई गई है। नियमों के अनुसार, सामग्री की खरीदी जेम पोर्टल के माध्यम से होनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय लोकल टेंडर के माध्यम से खरीदी की गई। सूत्रों के अनुसार, खरीदी प्रक्रिया में बाहर से लोगों को बुलाया गया था ताकि टेंडर आसानी से पास हो सके।

आत्मानंद स्कूलों के लिए फर्नीचर खरीदा गया, जबकि कई स्थानों पर स्कूल भवन तक नहीं बने थे। आश्रम और छात्रावासों के लिए लकड़ी के बेड, अलमारी, लॉकर और वाशिंग मशीन खरीदी गईं, जो अभी भी बेकार पड़ी हैं। कई स्कूलों में यह सामान उपयोग नहीं हो रहा है और एक कमरे में रखा हुआ है, जिससे क्लास लगाने के लिए अतिरिक्त कमरों की जरूरत पड़ रही है। कटघोरा ब्लॉक में 80 लाख रुपए के कंबल वितरण का मामला भी सामने आया है, जिसमें शिकायत के बावजूद जांच नहीं हुई।

 

सूत्रों का कहना है कि कोरबा, रायपुर, दुर्ग, भिलाई, और अन्य शहरों के सप्लायर्स इस घोटाले में शामिल थे। ठेकेदारों ने फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपयों का घोटाला किया। आदिवासी विकास परियोजना में भी माया वारियर ने ठेकेदारों के कॉकस को फायदा पहुंचाते हुए करीब 4 करोड़ रुपयों का फर्जी भुगतान किया।

ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच के अनुसार, इस घोटाले में 20 से अधिक ठेकेदारों और सप्लायर्स की गिरफ्तारी संभावित है। इन ठेकेदारों में कांग्रेस और भाजपा से जुड़े लोगों के नाम भी सामने आ रहे हैं।

 

सूत्रों से यह भी पता चला है कि इस घोटाले में मीडिया से जुड़े कुछ लोगों की भी भूमिका हो सकती है। लगभग 10 करोड़ रुपए के काम में मीडिया की संलिप्तता के समाचार सामने आए हैं, जिससे घोटाले के दायरे और भी बड़े होते जा रहे हैं।

यह मामला अब गहराता जा रहा है, और आने वाले समय में कई और खुलासे होने की संभावना है। ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच जारी है, और कोरबा जिले के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है।