कोरबा में कुछ दिनो से कोरोना के आंकड़े कम आए है। इसके साथ हीं निजी अस्पतालो की मनमानी शुरू हो गई है। ताजा मामला गीता देवी मेमोरियल हॉस्पिटल का है यहां के नर्सिंग स्टाफ को वेतन नहीं दिए जाने और उन्हें जबरन काम छोड़ने का दबाव बनाने के संबंध में शिकायत सामने आई है। यहां कई साल से कार्यरत 15 – 16 नर्सिंग स्टाफ से कोरोना काल मे 12-12 घंटे काम लिया गया । किसी स्टाफ की तबीयत खराब हो अथवा उनके घर में अति आवश्यक काम हो उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती। अगर जबरन छुट्टी ले ले तो उनका वेतन काट दिया जाता है। जब काम को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन से वेतन बढ़ाने की बात की जाती है तो उन्हें कहा जाता है, वेतन तो किसी भी कीमत पर नहीं बढ़ेगा, काम करना है तो करो वरना जा सकते हो। अस्पताल प्रबंधन का व्यवहार ऐसा होता है मानो वे मरीजों की सेवा करने वाले नर्सिंग स्टाफ नहीं बल्कि बंधुआ मजदूर हो।
हद तो तब हो गई जब यहाँ के कर्मचारियों का अप्रैल महीने का वेतन ही रोक दिया गया। इससे उनकी घर की माली हालत बिगड़ गई और उन्होंने परेशान होकर अस्पताल प्रबंधन से वेतन देने के लिए अनेकों बार मिन्नतें की लेकिन प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा, लिहाजा उन्हें न्याय की गुहार लगाने जिला प्रशासन की शरण में जाना पड़ा। गीता देवी मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन के अड़ियल रवैये से केवल नर्सिंग स्टाफ ही नहीं बल्कि यहां अपनी सेवाएं देने बाहर से आने वाले डॉक्टर भी परेशान हैं। उन्हें भी नियमित रूप से वेतन का भुगतान नहीं किया जाता।













