knn24news/ रायपुर, छत्तीसगढ़ के 15 बरसों तक मुख्यमंत्री रहे डाॅ0 रमन सिंह का अचानक दिल्ली दौरा चर्चा में है। बताया जाता है, पार्टी अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा के बुलावे पर सारा कार्यक्रम निरस्त करते हुए वे दिल्ली रवाना हो गए। जाहिर है, केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के समय रमन के दिल्ली जाने पर सियासी अटकलें तेज हो गई है।
लेकिन, रमन का दिल्ली जाने से ज्यादा चर्चा इस बात की है कि राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री क्यों शरीक नहीं हुए। हालांकि, मीटिंग में यह विकल्प दिया गया था कि चाहे तो पार्टी मुख्यालय या फिर अपने घर से जूम के जरिये कनेक्ट हुआ जा सकता है। शिवप्रकाश की बैठक में 40 से 50 नेता पहुंचे। इनमें आधा दर्जन से अधिक पूर्व मंत्री शामिल थे। सरोज पाण्डेय और रामविचार नेताम जैसे राज्य सभा सदस्य भी। मगर ताज्जुब है कि रमन सिंह जैसे पार्टी के कद्दावर नेता मुख्यालय आने की बजाए अपने घर से मीटिंग में जुड़े। रमन का मीटिंग में न आना पार्टी नेताओं को हजम नहीं हो रहा। दूसरी बात, इसे संयोग कहें या….शिवप्रकाश ने अपने संबोधन में जूम एप्प से जुड़ीं प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नीतिन नवीन का नाम तो लिया लेकिन रमन सिंह का नाम उनके संबोधन से गायब था।
दरअसल, टूलकिट मामले के समय छत्तीसगढ़ में बीजेपी की राजनीति जिस तरह से रमन सिंह के पक्ष में टर्न हुई थी, उससे शिवप्रकाश ने सार्वजनिक तौर पर नाखुशी जाहिर की थी। रमन के खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद तीन दिन तक छत्तीसगढ़ मेें बीजेपी का प्रदर्शन चला। भाजपा नेता, मैं भी रमन का हाथ में पट्टी लेकर आंदोलन किए। शिवप्रकाश ने इससे असहमति जताते हुए कहा था कि एक तो अनावश्वक इस इश्यू को तीन दिन तक खींचा गया। फिर मैं भी रमन से व्यक्तिवादी राजनीति को बल मिलता है। उन्होंने दो टूक कहा कि इस तरह का नहीं होना चाहिए।
वैसे भी, शिवप्रकाश पुरानी और सीनियर नेताओं को खास तरजीह नहीं दे रहे। रायपुर में मीटिंग के बाद कई नेता उन्हें कागज सौंपने की कोशिश की। लेकिन, उन्होंने उसे लेने से साफ इंकार कर दिया। जो भी नेता उनके पास कागज लेकर गया, पहला सवाल उनका था, विषय क्या है। जवाब सुनकर उन्होंने कहा, पवन साय को दे दीजिए। कहने का आशय यह है कि किसी नेता को चापलूसी करने का वे मौका नहीं दे रहे। स्पीच भी उनका टू दि प्वाइंट रहा।

