सक्ती.नगरपालिका में व्याप्त भारी अवस्थाओं को लेकर पक्ष एवं विपक्ष आर पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं जिसका नतीजा यह हुआ कि दोनों ही पक्षों के पार्षदों ने अपना अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
विदित हो कि नगर में हुए तोड़फोड़ के विरोध में किसी भी दल के पार्षदों ने अपना मुंह नहीं खोला और न ही किसी गरीब की कोई मदद नगरपालिका द्वारा की गई। इसी बात को लेकर गरमागरम बहस हुई जिससे दोनों पक्षों के पार्षदों के द्वारा अपने हाथों में चूड़ियां पहनकर बैठने का आरोप एक दूसरे पर लगाया गया। विपक्ष के द्वारा सत्ता पक्ष के पार्षदों को प्रशासन का चमचा बताते हुए आरोप लगाया गया कि पूरे तोड़फोड़ के दौरान किसी भी सत्ता पक्ष के पार्षदों ने विरोध दर्ज नहीं किया। वहीं सत्ता पक्ष के पार्षदों ने विपक्षी पार्षदों पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप लोग भी तो अपने मुंह में दही जमाकर बैठे हैं आपने क्यों विरोध नहीं किया, लगातार दोनों ही पक्षों के पार्षदों के द्वारा आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा।
इसी बीच एक सत्ता पक्ष के पार्षद के द्वारा भ्रष्टाचार के कमीशन में बराबर का हिस्सा नहीं दिए जाने का मामला भी उठा दिया गया । विदित हो कि नगर विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा पालिका को राशि प्रदान की जाती है उससे कार्य कराकर ठेकेदारों से जो कमीशन की राशि ली जाती है उसमें सत्तापक्ष के पार्षदों को बराबर का हिस्सा नहीं दिया जाता है इसी बात को लेकर एक पार्षद के द्वारा हंगामा खड़ा किया गया। हंगामा बढ़ता देख पालिका कर्मियों ने कार्यालय से भाग जाना ही उचित समझा और पार्षदों का हंगामा बढ़ता ही गया। अंततः एक दूसरे पर भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जिंदाबाद मुर्दाबाद का नारा लगाया गया और सभी पार्षदों के द्वारा जनता के लिए अपना सही कार्य न कर पाने तथा कमीशनखोरी में लिप्त रहने की बात को स्वीकार कर आत्मग्लानि महसूस करते हुए अपना अपना स्तीफा सौंप दिया गया।
