रायपुर.छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावाें के करीब आने के साथ ही दावेदारों ने बूथ-यूथ से लेकर ग्रह-नक्षत्रों तक को साधने में जोर लगा दिया है। प्रदेश के कई जिलों में नामी ज्योतिष विद्वान, देवी साधकों-संन्यासियाें का दरबार लग रहा है, वहीं टिकट की आस लगाए दावेदार देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठों में हाजिरी लगा रहे हैं। जहां पार्टी दफ्तरों में चुनाव मैनेजमेंट की बात हो रही है, वहीं ग्रह मैनेजमेंट के लिए काशी के विशालाक्षी देवी मंदिर, धूमावती देवी मंदिर, मणिकर्णिका घाट स्थित राजराजेश्वरी धाम, गुवाहाटी के कामाख्या देवी शक्तिपीठ, मिर्जापुर के अष्टभुजी कालीखोह मंदिर, राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी सरकार, दतिया स्थित मां बगलामुखी धाम, बीरभूम (पश्चिम बंगाल) के तारापीठ, हिमाचल के नैना देवी व हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर तक में विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के अनुष्ठान चल रहे हैं। इनमें माैजूदा मंत्री, विधायक, पूर्व मंत्री-विधायक, निगम-मंडल के अध्यक्ष से लेकर जिला पंचायत स्तर तक के नेता शामिल हैं।
वाराणसी स्थित प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. विष्णुपति त्रिपाठी कहते हैं कि नेताओं के वैचारिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन जब आस्था की बात आती है तो यहां आपको पार्टी लाइन से ऊपर उठकर कई दलों के नेता एक ही दरबार में मत्था टेकते दिखेंगे। महादेव की नगरी में तंत्र-मंत्र-यंत्र तीनों की उपासना संभव है, लिहाजा लोगों के बीच यहां की मान्यता अधिक है।












