कोरबा बना माफियाओं का गढ़… कोयला, कबाड़, शराब माफिया सक्रिय..छुटपुट कार्रवाई कर पुलिस कर रही खुद का महिमामंडन ?

कोरबा। वैसे तो कोरबा जिले में कहने के लिए पुलिस कार्य कर रही है,, लेकिन क्या वह माफियाओं पर अंकुश लगाने में सक्षम है। अगर हां,, तो आज तक जिले की पुलिस शहर में सक्रिय कोयला,, डीजल, शराब और रेत माफिया पर अंकुश क्यों नहीं लगा पाई?

कोरबा जिले में कोयला,, कबाड़ डीजल चोरों का आतंक चरम पर है । मगर की पुलिस कार्रवाई के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई है। तभी तो आए दिन कार्रवाई के नाम पर 20 या 25 टन कोयला ,,5 या 10 लीटर कच्ची शराब और 25 से 30 लीटर डीजल ही जप्त की जाती है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस द्वारा की गई यह कार्रवाई केवल ऊंट के मुंह में जीरे के समान है इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने बड़े पैमाने पर यहां पर डीजल, कबाड़ व कोयले का अवैध धंधा होता है।


वैसे तो पूरे शहर में माफियाओं का राज है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ये कुछ ज्यादा ही सक्रिय है । स्थानीय महिलाओ व पुरुषों की मदद से हरदीबाजार के रेकी से सटे दीपका खदान से कोल माफियाओं के द्वारा कोयले की चोरी करवाई जा रही है । रोज हजारों टन कोयला भारी वाहनों की मदद से पड़ोसी जांजगीर जिले में पहुंचाया जा रहा है । इतना ही नहीं आसपास के ग्राम रेलडबरी,, नेवसा, रालिया,भठौरा में संचालित अवैध ईट भट्ठों में कोयले को खपाया जा रहा है।

यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि एसईसीएल के सुरक्षाकर्मी,,माइनिंग विभाग और पुलिस की लक्ष्मण रेखा पार कर आखिर यह गोरखधंधा कैसे चलाया जा रहा है?

जबकि बिना लाइसेंस की कोरबा में ट्रांसपोर्ट नगर से बालको जाने पर भी पेनाल्टी या फिर चढ़ावा देना पड़ता है,तो फिर आखिर करोड़ों के वारे न्यारे बिना विभागीय मदद के कैसे संभव है?

यही हाल शहर में शराब माफियाओं का भी है ।ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची शराब व शहरी क्षेत्रों में बिचौलियों के माध्यम से अवैध शराब का धंधा बेधड़क चलाया जा रहा है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर 10 या 5 लीटर 25 या 30 पाव शराब की ही जप्ती बनाई जाती है। और फिर फोटो खिंचवा कर अपने कार्यों की इतिश्री विभाग द्वारा करवा ली जाती है।

एसईसीएल की सुरक्षा में सेंध लगाकर डीजल चोर भी जिले में काफी सक्रिय है ।खदानों में खड़े वाहनों से बकायदा हथियार के दम पर डीजल की चोरी होती है आए दिन सुरक्षाकर्मी और डीजल चोरों के बीच मारपीट की घटना आम हो गई है। कई बार इन मामलों में ग्रामीण भी घसीटे जाते हैं।


कोरबा माफियाओं का गढ़ बन गया है । रही सही कसर रेत माफिया पूरी कर देते हैं । रात के अंधेरे में शहर में रेत चोरी की घटना किसी से छिपी नहीं है।

जाहिर है इन सब अवैध कार्यों के पीछे सफेदपोश है,, जो पर्दे के पीछे रहकर अपना कार्य करते हैं । दिन के उजाले में समाज सेवा व रात में शहर की फिजा खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ते । लेकिन जिस तरह से इनका दायरा बढ़ता जा रहा है वह काफी चिंतनीय विषय है।।