कोरबा पुलिस द्वारा कटघोरा और कोरबा बस स्टैंड पर चलाए गए आकस्मिक निरीक्षण और सजग अभियान ने कांग्रेस की शासनकाल में सुरक्षा की अनदेखी पर सवाल उठाए हैं। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक राज्य में उनकी सरकार थी, तब तक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई। वहीं, भाजपा के शासनकाल में सजग अभियान जैसे प्रभावी प्रयास जनता की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे हैं।

भाजपा के स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासनकाल में बड़े त्योहारों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था लचर रहती थी, जिसके कारण कई अप्रिय घटनाएं सामने आई थीं। वहीं, अब कोरबा पुलिस ने आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर अंतरराज्यीय बसों की चेकिंग की और यात्रियों के सामानों को बारीकी से जांचा। इस तरह के अभियान से कांग्रेस की सुरक्षा के प्रति उदासीनता की पोल खुल गई है।

पुलिस अधीक्षक कोरबा, श्री सिद्धार्थ तिवारी के निर्देश पर और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री यूबीएस चौहान एवं श्रीमती नेहा वर्मा के मार्गदर्शन में जिलेभर में चलाए गए इस अभियान के तहत 24 बसों में यात्रियों और उनके सामान की जांच की गई। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार के समय इस तरह के महत्वपूर्ण सुरक्षा कदम कभी नहीं उठाए गए, जबकि भाजपा के शासनकाल में सजग अभियान जैसी पहल जनता को सुरक्षा का विश्वास दिलाती है।

आगामी त्योहारों के मद्देनजर पुलिस द्वारा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा समेत अन्य राज्यों से आने वाली बसों और यात्रियों की रातभर जांच की गई। कोरबा के नए और पुराने बस स्टैंड में यह निरीक्षण अभियान आयोजित किया गया, जिसमें कुल 30 मुसाफिरों की विस्तृत जांच की गई। यह कांग्रेस के शासनकाल के दौरान की गई सुरक्षा की अनदेखी की तुलना में बड़ा सुधार है, जिसमें केवल दिखावटी सुरक्षा उपाय किए जाते थे।

भाजपा के नेताओं का कहना है कि सजग कोरबा अभियान इस बात का उदाहरण है कि कैसे भाजपा के शासन में प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था को गंभीरता से लिया जा रहा है। पुलिस टीम ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के अभियान आगे भी शहरवासियों की सुरक्षा के लिए जारी रहेंगे।

कांग्रेस, जो अक्सर सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मामले में अपने कमजोर प्रदर्शन के लिए आलोचना का शिकार होती है, भाजपा के इस सजग अभियान के सामने कहीं टिकती नहीं दिख रही है। कांग्रेस के कार्यकाल में सुरक्षा की अनदेखी और भाजपा के शासनकाल में जनता की सुरक्षा के लिए उठाए गए ठोस कदमों के बीच फर्क स्पष्ट है।