कोरबा, 23 अक्टूबर: सहायक आदिवासी विकास विभाग के पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर के कार्यकाल में हुई गड़बड़ी और लगभग तीन करोड़ रुपए के कार्यों से संबंधित फाइलें और दस्तावेज गायब होने के मामले में एक बार फिर से जांच शुरू की गई है। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट आज तक, 15 महीने बाद भी नहीं आई है।
हालांकि, वर्तमान कलेक्टर अजीत वसंत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक नई सात सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। कलेक्टर ने निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत की जाए।
कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति जांच में दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी, और पुलिस FIR भी दर्ज कराई जाएगी। उन्होंने कहा, “किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”
जारी किए गए जांच आदेश में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 275 (1) मद के अंतर्गत राशि 627.56 लाख रुपये आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास रायपुर से परियोजना प्रशासक, एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कोरबा को प्रदाय की गई थी। इस राशि का उपयोग श्रीमती माया वारियर द्वारा प्रस्तावित कार्यों के लिए किया गया था।
सूत्रों के अनुसार, इस राशि में से 495.79 लाख रुपये छात्रावासों और आश्रमों के नवीनीकरण एवं सामग्री आपूर्ति के लिए सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास कोरबा को कार्य एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया था। जिसमें से लगभग 300 लाख रुपये का व्यय श्रीमती माया वारियर के कार्यकाल में किया गया है।
हालांकि, इस राशि के वितरण में आवश्यक निविदा अभिलेख, कार्य आदेश, प्राक्कलन, माप पुस्तिका, देयक व्हाउचर, मूल नस्ती और अन्य दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने के कारण जांच का आदेश दिया गया है।
इस जांच टीम में शामिल अधिकारियों में दिनेश कुमार नाग (अपर कलेक्टर कोरबा), कार्यपालन अभियंता छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल, परियोजना प्रशासक/ सहायक आयुक्त, जिला कोषालय अधिकारी, संतोष पटेल (कनिष्ठ लेखा अधिकारी, आदिवासी विकास), रेशमलाल धृतलहरे (सहायक अभियंता, आदिवासी विकास) और ऋषिकेश बानी (उप अभियंता, आदिवासी विकास) शामिल हैं।
जांच की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर ने सभी संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं। अब सभी की निगाहें इस मामले में जल्दी और स्पष्ट कार्रवाई की ओर हैं।












