दूसरे प्रदेशों को रोशनी बांटने वाला कोरबा डूबा अंधेरे में,, हर दूसरे दिन पावर कट से लोग हो रहे परेशान,, नेताओं की सक्रियता अधिकारियों की कर्तव्यनिष्ठा पर उठ रहे सवाल

कोरबा: इसे दुर्भाग्य कहे या राजनीतिक निष्क्रियता या फिर प्रशासनिक उदासीनता की सबको रोशनी बांटने वाला कोरबा आज खुद अंधेरे में डूबता जा रहा है। आए दिन होने वाले विद्युत कट के कारण क्षेत्र की जनता परेशान हो चली है । वह कोसने को मजबूर है उन लोगों को जिन्हे जनता ने खुद ही सत्ता पर विराजित किया है, वह उन्हें भी कोस रही हैं जो बिल ना पटाने पर बिजली तो तुरंत काट देते हैं, लेकिन बिल पटाने के बाद भी व्यव्स्था बहाल नहीं होती। प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता आंख, मूंदे बैठे बिजली कर्मचारी यह सब केवल और केवल जनता का शोषण ही कर रहे हैं।

हर बार की तरह 8 अगस्त को भी कोरबा शहर की विद्युत व्यवस्था को अनावश्यक कारणों से बाधित कर दिया गया था। मौसम साफ था मेंटेनेंस के नाम पर बिजली गुल करने की सूचना लोगों को कभी कभी प्रदान की जाती है। इन सब के बीच लगभग 4 से 5 घंटे विद्युत बंद थी। जिसके कारण शहर के लोग काफी परेशान थे।

लोगों का कहना है कि हर दूसरे दिन उन्हें जानबूझकर इस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है ।विद्युत के सहारे व्यवसाय चलाने वाले लोग भी खासे परेशान नजर आए । उनका कहना है कि लाखों लाख बिल पटाने के बाद भी जब विद्युत व्यवस्था इस प्रकार की होगी तो सिवाय सर पीटने के उनके पास कोई चारा नहीं बचता।

शहर के टीपी नगर क्षेत्र के व्यापारी भी विद्युत की लचर व्यवस्था से काफी परेशान थे । उनका कहना है कि बार-बार शिकायत के बाद ही सुनने वाला कोई नहीं है। बिजली न होने की वजह से उनका व्यापार भी प्रभावित हो रहा है । विद्युत कर्मचारी अधिकारियों की मनमानी को लेकर व्यापारी काफी आक्रोशित हैं उनका कहना था कि आने वाले चुनाव में इसका परिणाम नेताओं को भुगतना पड़ सकता है।जिनके होते हुए भी जानता बिजली के लिए त्राहि त्राहि कर रही है।

कोरबा के अब तक के इतिहास में यह पहला मौका है जब जनता इस तरह से बिजली के परेशान हो रही हो । इससे पहले भी कई सरकारी आई गई लेकिन ऊर्जाधानी कोरबा हमेशा ऊर्जावान रहा । यह पहला मौका है जब हर दूसरे दिन बिजली काट कर लोगों को परेशान किया जा रहा है।

हाल फिलहाल के दिनों में विद्युत की लचर होती व्यवस्था उन नेताओं के मुंह पर तमाचा है ,जो लोगों की समस्याओं को समझने का दावा करते हैं। साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों के सक्रियता पर भी बिजली की लचर व्यवस्था सवाल उठाती है । यही हाल रहा तो आने वाले चुनाव में शायद यह कोरबा के इतिहास में पहली बार हो जब किसी नेता के चुनावी घोषणा पत्र में 24 घंटे बिजली देने का वादा किया जाए। यह कोरबा के लिए केवल दुर्भाग्य और दुर्भाग्य होगा।