नई दिल्ली। पाकिस्तान के लाहौर में शादमान चौक का नाम बदलकर शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करने की योजना रद्द करने के फैसले पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई है. एक सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी की रिपोर्ट में स्वतंत्रता सेनानी को ‘आतंकवादी’ करार दिए जाने के बाद इस योजना को रद्द कर दिया गया.

आम आदमी पार्टी (आप) ने इस कार्रवाई के जवाब में भारत सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है और पाकिस्तान से स्पष्टीकरण मांगा है. पार्टी ने लाहौर उच्च न्यायालय से इन टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने की अपील भी की है, ताकि भविष्य में भगत सिंह के बारे में इस तरह के अपमानजनक बयानों को रोका जा सके. इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे एक ऐसे देश के लिए “पाखंड” बताया जो आतंकवादियों को पनाह देने के लिए जाना जाता है, ताकि अविभाजित भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले नायक को बदनाम किया जा सके.

विवाद तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान के लाहौर महानगर निगम ने लाहौर उच्च न्यायालय को सूचित किया कि शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने का प्रस्ताव रद्द कर दिया गया है. यह निर्णय सेवानिवृत्त कमोडोर तारिक मजीद की रिपोर्ट के बाद आया, जिन्होंने दावा किया था कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि एक “अपराधी” थे और आज के शब्दों में कहें तो एक “आतंकवादी” थे, जिन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी. भगत सिंह को 1931 में दो साथियों के साथ हत्या में शामिल होने के कारण फांसी पर लटका दिया गया था.