कोरबा- छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी कोरबा जो कोयलांचल के नाम से भी जानी जाती हैं। वह प्रदूषण के मामले में दिल्ली शहर के बहुत करीब पहुंच चुका है। नई दिल्ली का एक एनजीओ एनवायरनिक्स ट्रस्ट दोनों ही शहरों के प्रदूषण का लगातार अध्ययन कर रहा है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार कोरबा का पार्टिकुलेट मेटर (पीएम) का स्तर दिल्ली के पीएम के आसपास पहुंच गया हैं। जिसके कारण कोरबा भी अब प्रदूषण के मामले में देश के शीर्ष शहरों में शामिल हो गया है। कोरबा के वरिष्ठ भाजपा नेता केदारनाथ अग्रवाल ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की है। श्री अग्रवाल के अनुसार बढ़ते प्रदूषण को रोकने प्रशासन को गंभीरता दिखाने चाहिए ।

कोरबा जिले में 12 से अधिक कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से 8,400 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है। 14 से अधिक कोल इंडिया से संबद्ध साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की खदानें से सालाना 1250 लाख टन कोयला उत्पादन हो रहा हैं। खदानों में होने वाले उत्खनन व परिवहन की वजह से कोल डस्ट यहां की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। बिजली संयंत्रों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं की वजह से शहर की वायु भी प्रदूषित हो रही हैं।

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श्री अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में जिले की ज्यादातर सड़कों की हालत भी जर्जर है। इस वजह से वाहनों के चलने से धूल उड़ कर प्रदूषण फैला रही हैं। उचित प्रबंधन के अभाव में बिजली संयंत्रों के राखड़ बांध से भी राख वातावरण में घुल रही हैं। ज्यादातर बिजली संयंत्र प्रबंधन भर चुके बांध से राख परिवहन कर लो-लाइन एरिया के नाम पर रिहाइशी इलाकों में डंप कर रहे हैं। इसकी वजह से भी पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंच रहा हैं।

राज्य सरकार इन दिनों तेजी से खराब सड़कों की मरम्मत करा रही हैं। सड़क निर्माण कार्यों में भी राख का उपयोग किया जा रहा हैं, पर राख सूख कर न उड़े, इसकी व्यवस्था नहीं की गई है। श्री अग्रवाल ने इन सड़को पर पानी के छिड़काव की भी मांग की हैं। उन्ळोने बताया कि प्रदूषण का स्तर दिन ब दिन कोरबा जिले में बढ़ता जा रहा हैं।

एनवायरनिक्स ट्रस्ट की नियमित निगरानी रिपोर्ट पर नजर डालें तो कई बार ऐसा हुआ है, जब दिल्ली से भी अधिक प्रदूषण की मार कोरबा के रहने वालों को झेलनी पड़ी। 9 अक्टूबर 2022 को कोरबा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 227 तो दिल्ली का 43 रहा। हालांकि दिल्ली में इस दिन वर्षा होने की वजह से प्रदूषण का स्तर कम रहा। अन्य दिनों की रिपोर्ट को देखने से पता चलता है

एनवायरनिक्स ट्रस्ट की नियमित निगरानी रिपोर्ट पर नजर डालें तो कई बार ऐसा हुआ है, जब दिल्ली से भी अधिक प्रदूषण की मार कोरबा के रहने वालों को झेलनी पड़ी। 9 अक्टूबर 2022 को कोरबा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 227 तो दिल्ली का 43 रहा। हालांकि दिल्ली में इस दिन वर्षा होने की वजह से प्रदूषण का स्तर कम रहा। अन्य दिनों की रिपोर्ट को देखने से पता चलता है कि कई बार ऐसे मौके आये हैं जब कोरबा शहर ने दिल्ली के प्रदूषण स्तर को भी पार कर दिया। निश्चित तौर यह राज्य सरकार के साथ पर्यावरण विभाग के लिए भी चिंता का विषय है। ’ दीपावली के दिन बढ़ गया जिले में 36 प्रतिशत प्रदूषण 24 अक्टूबर के दिन सुबह 8 से दूसरे दिन सुबह 8 बजे तक एक्यूआई 229 रहा। इसके एक दिन पहले 23 अक्टूबर को 168 एक्यूआई रहा। इस लिहाज से 36 प्रतिशत प्रदूषण दूसरे दिन के मुकाबले पटाखे फोड़े जाने की वजह से दीपावली के दिन अधिक रहा। बात दिल्ली की करें तो दीपावली के दिन यहां एक्यूआई 388 जा पहुंचा। एक दिन पहले यह 361 रहा। दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद काफी लोगों ने इसका उल्लंघन किया । दीपावली पर पटाखों की वजह से बढ़े प्रदूषण का असर केवल 16 घंटे ही रहा। यदि अन्य जिलों में भी प्रदूषण को कम करने के क्षेत्र में काम किया जाए

बावजूद काफी लोगों ने इसका उल्लंघन किया । दीपावली पर पटाखों की वजह से बढ़े प्रदूषण का असर केवल 16 घंटे ही रहा। यदि अन्य जिलों में भी प्रदूषण को कम करने के क्षेत्र में काम किया जाए, तो दीपावली पर पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने की नौबत नहीं आएगी।

प्रदूषण जांच के केटेगरी में कोरबा कमजोर एयरोनिक्स ट्रस्ट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गाइड लाइन के मापदंडो के अनुसार कोरबा व दिल्ली दोनों शहरों के प्रदूषण के स्तर की नियमित निगरानी कर रही हैं। सदस्य मोहित गुप्ता ने बताया कि संस्था ने कोरबा में सरईसिंगार, हरदीबाजार, पाली, दर्री, जमनीपाली, कुसमुंडा समेत 17 वायु गुणवत्ता मानीटर मशीन लगाए गए हैं। वायु प्रदूषण का स्तर जांचने 6 केटेगरी बनाई गयी हैं। जिसमें कोरबा 200 से 300 एक्यूआइ केटेगरी पर है। इसे कमजोर स्तर माना जाता है। यही स्थिति रही तो 300 से 400 एक्यूआइ में आने में वक्त नहीं लगेगा और यह वेरी पुअर केटेगरी में आ जाएगा। इसका प्रतिकूल असर यहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा हैं। बीते वर्ष 2021 में अकेले जिला चिकित्सालय में दमा के लगभग 4800 मरीज इलाज के लिए पहुंचे।

प्रदूषण रोकने किए गए उपाय पर नतीजा शून्य ’ एनटीपीसी, बालको व लैंको के बिजली संयंत्रों में लगे चिमनी से धुएं के साथ निकलने वाले राख के कण को रोकने इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर सिस्टम (ईएसपी) लगाए गए हैं। इस संयंत्र की स्थापना के लिए प्रति यूनिट औसतन 30 लाख रूपये खर्च किए गए हैं। एक राखड़ बांध में पानी छिड़काव व रखरखाव के लिए हर साल करीब 1 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे। सड़क निर्माण कार्यों के लिए परिवहन खर्च विद्युत कंपनियां खुद उठा रही। इसमें भी हर साल 12 करोड़ रूपये खर्च कर रही हैं। यही नहीं पर्यावरण संतुलन के लिए हर वर्ष औसत 8 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे। इसके बावजूद हालात सुधर नहीं रहे।

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रतिस्पर्धा के लिए कड़ी चुनौती केंद्र सरकार ने देश में वर्ष 2026 तक 40 प्रतिशत तक पीएम में कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित कर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है। इसके लिए 44 शहरों के बीच स्वच्छ सर्वेक्षण की तर्ज पर प्रतिस्पर्धा होगी। शुद्ध हवा वाले शहर को 75 लाख रूपये का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। तीन से 10 लाख की आबादी वाले शहर में कोरबा को भी शामिल किया गया है। लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा। ऐसे में नगर निगम कोरबा को इस प्रतिस्पर्धा के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।