जिले में एक्सपर्ट डॉक्टर की कमी:44 सरकारी अस्पतालों में एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं, 288 की जरूरत, 93 ही पदस्थ, 195 पद खाली

बिलासपुर जिले के 6 समेत संभाग के 44 जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जहां इलाज करने के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं है। सामान्य बीमारियों पर मरीजों को मजबूरी में या तो प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना पड़ रहा है या फिर सिम्स 8 जिला चिकत्सालय आना पड़ता है। सबसे कमी स्त्री और शिशु विशेषज्ञों की है, जबकि सबसे ज्यादा जरूरत इसी की है। मस्तूरी, तखतपुर, बिल्हा, बलौदा, पामगढ़ समेत कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है।

इन अस्पतालों में 288 विशेषज्ञों की स्वीकृति है पर 93 ही कार्यरत हैं। 195 विशेषज्ञों की जरूरत है। संभाग के सभी जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों का सेटअप है। यानी अस्पतालों में शिशु रोग, हड्‌डी रोग, ईएनटी, हृदय रोग से लेकर सभी बीमारियों के इलाज के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर होने चाहिए, लेकिन कहीं सिर्फ शिशु रोग विशेषज्ञ हैं तो कहीं सिर्फ ईएनटी के डॉक्टर हैं। कई अस्पताल ऐसे हैं जहां एक भी एक्सपर्ट नहीं है। ज्यादातर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों मंे परेशानी है। गरीबों को शासन की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। एक्सपर्ट नहीं होने के कारण मरीज सुविधा से वंचित हो रहे हैं और उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है। यदि सरकारी अस्पतालों में एक्सपर्ट डॉक्टर होते तो मरीजों को सुविधाएं मिलती