knn24news/ Adar Poonawala, SII के CEO, ने घोषणा की है वो जो भी नए प्लांट लगाएगा ब्रिटेन में लगाएगा, भारत में नही। SSI ने ही कोरोना की एक वैक्सीन बनायी है। उसने ऐसा इसलिए कहा कि वैक्सीन बनाने के घनघोर अपराध में उसे लुटेरा कहा जा रहा है, जान से मारने की धमकियाँ मिल रही है। भारत में जब भी कोई नया उद्योग लगाता है, नया उत्पाद बनाता है, तो मुफ़्तखोरी कराने वाले नेता व उनके वोटर पहुँच जाते है, “हमें मुफ़्त दो, मूल्य सरकार निर्धारित करेगी, लूट रहे हो हमें, फ़ैक्टरी जलाएँगे।” काले कोट भी मैदान में कूद जाते है, उन्हें भी अपनी बुद्धिमानी व रॉबिन हुडता दिखानी होती है, सरकार को बुला कर खड़ा कर लेते है, “मूल्य निर्धारित करो, और कम करो, नही करे तो फ़ैक्टरी ज़ब्त कर लो।”
डॉक्टर की फ़ीस हम सरकार से निर्धारित करवाते है, उसके अस्पताल की फ़ीस हम सरकार से तय करवाते है, फिर जब वो बिचारा इलाज नही कर पाता तो उसकी पिटाई करते है। वो बिचारा अस्पताल बंद कर अमेरिकी दूतावास के सामने वीसा की लाइन में खड़ा हो जाता है। एक फ़ैक्टरी जलती है तो उसे तो बंद कर वह उद्योगपति तो सिंगापुर पहुँच ही जाता है, दस अन्य जो फ़ैक्टरी लगाने की योजना बना रहे थे वे भी विचार त्याग कर Apple के शेयर में पैसे लगा देते है। हमारे बच्चे MNREGA के कार्ड बनवा लेते है।
ऊपर लिखे दोनो केस में भी हम स्वयं को सुधारने के विपरीत सरकार/काले कोट के पास पहुँच जाएँगे, “क़ानून बनाओ कि जो भारत में डॉक्टरी पढ़ेगा वो यही हमसे पिटेगा।” लोग डॉक्टरी की पढ़ाई ही करने बाहर चले जाएँगे। SII के बारे में भी यही कहेंगे, “फ़ैक्टरी को ज़ब्त करो। ” सरकार फ़ैक्टरी छीन लेगी व फिर फ़ैक्टरी घाटे में चली जाएगी। अगली बार कुछ ऐसा वैसा हुआ तो वैक्सीन भी नही मिलेगी।सोचिये ,अगर पहली वेव में हमने सरकार से टेस्ट की क़ीमत, निजी अस्पताल की फ़ीस न तय करवायी होती तो इस समय भारत में दस गुनी लेब होती, दस गुने कोविड बेड होते, व जो चले गए है उनमे से अधिकतर जीवित होते।
मेडिकल प्रॉफेशन का कोई भी व्यक्ति जितना भी कमाता है उसका 95% चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने में ,अस्पताल को और बड़ा करने ,नई नई मशीन खरीदने में खर्च कर देता है अगर एक किसान की फसल तैयार होते ही मुफ़्तखोरी वाले उससे छीन लेंगे तो वह अगले सीज़न में फसल बोएगा ही नही। इतनी साधारण सी बात मुफ़्तखोरी कराने वाले नेता, उनके वोटर, व काले कोट वाले नही समझ पा रहे है। इस मूर्खता का मूल्य लेकिन लोग अपना जीवन गँवा कर चुका रहे है।










