कोरबा, 02 जुलाई 2024 – कोरबा के मिशन रोड स्थित आदिवासी छात्रावास की दीवार गिर जाने की घटना ने स्थानीय निवासियों के बीच भय और संकट का माहौल पैदा कर दिया है। यह घटना 01 जुलाई 2024 की रात्रि को अत्याधिक बारिश के कारण घटित हुई, जिससे क्षेत्र में जनधन की हानि की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

मिशन रोड पर स्थित उच्च न्यायालय अधिवक्ता, नोटरी, और पूर्व ए.जी.पी. श्री मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि उनके घर के ठीक सामने स्थित आदिवासी छात्रावास कई वर्षों से बंद पड़ा है और जर्जर स्थिति में है। बारिश के चलते दीवार के गिरने से आसपास के निवासियों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है।

श्री अग्रवाल के अनुसार, दीवार गिरने के कारण गंदगी और बदबू का माहौल बन गया है। दीवार के गिरने से अंदर की कई वर्षों से पड़ी गंदगी बाहर आ गई है, जिसमें कई जीव-जन्तुओं के शव भी शामिल हैं। इससे न केवल बदबू का प्रकोप फैल गया है, बल्कि संक्रामक बीमारियों के फैलने की भी आशंका बढ़ गई है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि दिन में यदि यह दुर्घटना घटित हुई होती, तो जनधन की भारी हानि हो सकती थी। वर्तमान स्थिति में भी, यदि छात्रावास का शेष भवन गिरता है, तो इससे बड़ी दुर्घटना होने की संभावना है। श्री अग्रवाल ने बताया कि दीवार गिरने के कारण गंदगी बहकर उनके घर के सामने आ रही है, जिससे उनके और उनके परिवार के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
श्री मनोज कुमार अग्रवाल ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग, जिला कोरबा को इस स्थिति से अवगत कराया है और त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द टूटे हुए दीवार और पूरे छात्रावास भवन का निर्माण कराएं, ताकि स्थानीय निवासियों को राहत मिल सके और किसी भी संभावित दुर्घटना से बचा जा सके।
श्री अग्रवाल ने इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने और उचित कदम उठाने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके। यह मामला न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर प्रशासन की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा की जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन त्वरित कदम उठाएगा और जल्द ही इस समस्या का समाधान करेगा। निवासियों ने प्रशासन से इस मामले में तत्परता दिखाने और शीघ्र कार्रवाई की अपेक्षा की है।
कोरबा में हुई इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस चुनौती का सामना कैसे करता है और स्थानीय निवासियों को इस संकट से कैसे निजात दिलाता है।
