किसी की शादी के कार्ड बंट गए थे तो कोई कर रहा था बेटी के नामकरण की तैयारी, दोस्त को फोन कर कहा था- कल घर आऊंगा

knn24news/ मंगलवार को नारायणपुर जिले के कड़ेनार में हुए नक्सली हमले में जिले के दो जवान शहीद हो गए। अंतागढ़ के पोडगांव के शहीद देवकरण देहारी की अगले महीने शादी थी। लेकिन अगले महीने बजने वाली शहनाई की गूंज विस्फोट के धमाकों में खो चुकी है।

कांकेर के चवाड़ निवासी सेवक राम सलाम की 11 माह की बेटी का अगले माह पहला जन्मदिन है। पिता का हाथ थाम कर बेटी पहली बार केक काटने वाली थी लेकिन उसी पिता को अपने इन्हीं हाथों से मुखाग्नि देनी पड़ी। शहीद होने वाले 5 जवानों में केशकाल के भर्रीपारा निवासी जवान पवन मंडावी भी शहीद हो गया था। बुधवार को शहीद जवान के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उसके गृहग्राम लाया गया जहां जवान को पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, विधायक संतराम नेताम समेत सभी प्रशासनिक व पुलिस के अधिकारियों-कर्मचारियों ने श्रद्धांजलि दी। इनके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष देवचंद मातलाम, कलेक्टर एसपी समेत क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधियों व ग्रामीण शामिल थे। विधायक संतराम नेताम ने कहा कि नक्सलियों की इस कायराना हरकत का मुंह-तोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जवानों को सरकार द्वारा निर्देश दिए गए है कि फ्रंटलाइन में आकर नक्सलियों को खात्मा करें।

बेटी के नामकरण की चल रही थी तैयारी कांकेर के शहीद सेवकराम सलाम चार दिन पहले ही पत्नी व बेटी को छोड़ने नारायणपुर से चवाड़ आया था। जगदलपुर में पदस्थ शहीद के छोटे भाई आरक्षक शिव सलाम ने बताया गश्त में जाने से पहले फोन में बात कर कहा था कि वह होली में घर आएगा। इसी दौरान पुत्री लारिसा का नामकरण कार्यक्रम रखने वाले थे।

साथ ही 24 अप्रैल को उसका पहला बर्थडे भी धूमधाम से मनाने की बात कही थी। परिवार में दोनों कार्यक्रम की तैयारी चल रही थी। बेटी अपने पहले जन्मदिन में पिता के साथ केक काटती लेकिन उसे उन्हीं हाथों से शहीद पिता काे मुखाग्नि देनी पड़ी। सेवक राम सलाम 2007 में पुलिस सेवा में गए थे। 2019 में चितेश्वरी सलाम के साथ विवाह हुआ था। घर में माता मीना बाई सलाम है। पिता तिहारू राम सलाम का निधन हो चुका है। चवाड़ में शहीद सेवक राम सलाम की अंतिम यात्रा देशभक्ति गीतों के साथ निकाली गई। यात्रा ने पूरे गांव में भ्रमण किया। जिस वाहन में पार्थिव शरीर को रखा गया था उसमें लगे बैनर में एक ओर शहीद की फोटो तो दूसरी ओर उसकी पुत्री की फोटो लगी थी जिसे देख हर किसी की आंखें नम होती रहीं।

शादी के कार्ड बंट गए थे, छुट्‌टी के पहले शहीद
अंतागढ़ के शहीद आरक्षक देवकरण देहारी की शादी अगले माह 23 अप्रैल को होनी थी। बुजुर्ग माता-पिता समेत भाई शादी की तैयारी में जुटे थे। शादी कार्ड भी बांटे जा चुके थे। देवकरण इसके लिए 24 मार्च से एक महीने की छुट्‌टी पर घर आने वाला था। यहां आकर शादी के लिए खरीदी करता। वह आया तो जरूर लेकिन सेहरे की जगह शहीद का चोला पहन कर।